________________ शरणागति-सूत्र अरिहंते सरणं पवज्जामि। सिद्धे सरणं पवजामि। साह सरणं पवज्जामि। केवलिपन्नत्तं धम्मं सरणं पवजामि / अरिहंत की शरण स्वीकार करता हूं। सिद्धों की शरण स्वीकार करता हूं। साधुओं की शरण स्वीकार करता हूं। केवली प्ररूपित अर्थात आत्मज्ञ-कथित धर्म की शरण स्वीकार करता हूं। 38 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,