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________________ Error! No text of specified style in document. पणय-ससंभम-पत्थिव-नह-मणि-माणिक्क-पडिअ-पडिमस्स; तुह वयण-पहरण-धरा, सीहं कुद्धपि न गणंति. ससि-धवल-दंत-मूसलं, दीह-करुल्लाल-वुढि-उच्छाहं; महु-पिंग-जयणजुअलं, स-सलिल-नवजल-हराऽऽरावं. भीमं महा-गइंद, अच्चा-ऽऽसन्नं पि ते नवि गणंति; जे तुम्ह चलण-जुअलं, मुणि-वई! तुंगं समल्लीणा. समरम्मि तिक्ख-खग्गा-ऽभिग्घाय पविद्ध-उद्धृय-कबंधे कुंत-विणिभिन्न-करि-कलह-मुक्क-सिक्कार-पउरंमि. निज्जिय दप्पुद्धर-रिउ-नरिंद-निवहा भडा जसं धवलं; पावंति पाव-पसमिण! पास-जिण! तुह प्पभावेण. रोग-जल-जलण-विस-हर,-चोराऽरि-मइंद-गय-रण-भयाइं; पास-जिण-नाम-संकित्तणेण पसमंति सव्वाई. एवं महा-भय-हरं, पास-जिणिंदस्स संथवमुआरं; भविय-जणा-ऽऽणंद-यरं, कल्लाण-परंपर-निहाणं. राय-भय-जक्ख-रक्खस-कुसुमिण-दुस्सउण-रिक्ख-पीडासु संझासु दोसु पंथे, उवसग्गे तह य रयणीसु. जो पढइ जो अ निसुणई, ताणं कइणो य माणतुंगस्स; पासो पावं पसमेठ, सयल भुवणऽच्चिअ चलणो. उवसग्गंते कमठा-ऽसुरम्मि, झाणाओ जो न संचलिओ; सुर नर-किन्नर-जुवइहिं, संथुओ जयउ पास जिणो. एअस्स मज्झयारे, अट्ठारस अक्खरेहिं जो मंतो; जो जाणई सो झायई, परम पयत्थं फडं पासं. पासह समरण जो कुणइ, संतुढे हियएण; अदुत्तर सय वाहि भय, नासइ तस्स दूरेण. ... 24 namiuna panaya-sura-gana,-cuda-mani-kirana-ranjiam munino; Page 2 of 6
SR No.300580
Book Title56 Namiyun Stotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharya
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1
LanguageGujarati
ClassificationAudio_File, Ritual_text, & Sutra_Svetambar
File Size14 MB
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