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all objects of knowledge, enjoys ambrosial happiness (the very nature of the self), and is worshipped by the lords of the world.
Suggested Readings
1. पं. मनोहरलालशास्त्रिणा संशोधितश्च (1999), श्रीमन्नेमिचन्द्रसिद्धान्तिदेवविरचितः बृहद्रव्यसंग्रह, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास, सप्तम संस्करण.
2. पं. मनोहरलाल (वि. सं. 1969), श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचितः प्रवचनसार, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई - 2.
3. सप्तदशाङ्गी टीका मनोहर जी वर्णी (1995), श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यदेव प्रणीत समयसार श्री भारतवर्षीय वर्णी जैन साहित्य मन्दिर, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.).
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4. हिन्दी अनुवादक पन्नालाल बाकलीवाल (श्रीवीरनिर्वाण संवत् 2495, वि. सं. 2025 ), श्रीमत्कुन्दकुन्दस्वामिविरचितः पंचास्तिकायः, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास (गुजरात), तृतीयावृत्ति,
5. सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री (2010), आचार्य पूज्यपाद विरचित सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003, सोलहवाँ संस्करण.
6. टीका आर्यिका विशुद्धमति माताजी, सम्पादन ब्र. पं. रतनचन्द जैन 'मुख्तार' व डॉ. चेतनप्रकाश पाटनी (1974), श्रीमन्नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ति विरचित त्रिलोकसार, श्री शान्तिवीर दिगम्बर जैन संस्थान, श्रीमहावीरजी ( राजस्थान ).
7. प्रो. उदयचन्द्र जैन (2012), आचार्य समन्तभद्र द्वारा विरचित आप्तमीमांसा की तत्त्वप्रदीपिका नामक व्याख्या, श्री गणेश वर्णी दि जैन संस्थान, वाराणसी-221005.
8. पं. जुगलकिशोर मुख्तार (श्रीवीरनिर्वाण संवत् 2451, वि. सं. 1982), श्रीमन्समन्तभद्रस्वामि-विरचितो रत्नकरण्डक श्रावकाचारः, मणिकचन्द्र दि. जैन ग्रन्थमाला समिति, हीराबाग, पो. गिरगांव, बम्बई.
9. पं. जुगलकिशोर मुख्तार 'युगवीर' (2009), श्रीमद्- अमितगति - विरचित योगसार- प्राभृत, भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003, चतुर्थ संस्करण.
10. सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री (2013) माइल्लधवल - विरचित णयचक्को (नयचक्र), भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003, पाँचवाँ संस्करण.
11. जगदीशचन्द्र जैन (डॉ.) (1992), श्रीमल्लिषेणसूरिप्रणीता स्याद्वादमञ्जरी, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास- 388130, पंचमावृत्ति
12. Chakravarti Nayanar A. (Prof) (2009), Acūrya Kundakunda's Pancūstikāya Sära", Bharatiya Jnanpith, 18 Institutional Area, Lodi Road, New Delhi, Third Edition.
13. Jain, Champat Rai (1975), “The Key of Knowledge", Today & Tomorrow's Printers & Publishers, New Delhi, Fourth Edition.
14. Jain, S.A. (1960), "Reality: English Translation of Shri Pūjyapāda's Sarvārthasiddhi", Vira Sasana Sangha, Calcutta-37.
15. Jain, Vijay K. (2014), "Acdrya Pajyapada's Istopadesa The Golden Discourse, Vikalp Printers, Dehradun.
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