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________________ श्री कापरड़ा स्वर्ण जयन्ती महोत्सव अन्य आत्मसमर्पण ए समाधि रूप ज छ, केमके बहिरात्मदशानो त्याग करीने अंतरात्मस्वरूपमां स्थिर बनी, पोताना आत्माने परमात्मास्वरूपज चित्तववो तेने आत्मार्पण कहेवाय छ । ___ इन्द्रियोने वश करीने मनने, परमात्ना गुणचिंतनमां के ध्यानमा जोडवाथी ज बुद्धि स्थिर बनी शके छ । परमात्माना गुणगानथी के ध्यानथी चित्तनी प्रसन्नता प्राप्त थायछे अने चित्तनी प्रसन्नता प्राप्त थतां सर्व दुःखोनो नाश थाय छ तेमज प्रसन्नचित्त वाला पुरुषनी बुद्धि शीघ्र स्थिर थाय छ। इन्द्रियोनां जय विना मन अस्थिर रहे छ, चित्तनी चपलता थवाथी प्रभुस्तुति के ध्यान थई शकतु नथी, अने ते विना चित्तप्रसन्नता प्राप्त थती नथी, अने चितप्रसन्नता विना शान्ति मलती नथी। अशांत आत्माने सुख के समाधि क्याथी मली शके ? श्रा उपरथी समजी शकाय छे, के समाधिसुखना अभिलाषीप्रोए प्रथम इन्द्रियोने काबुमा राखी, मनने परमात्मगुणोमां स्थिर वनावी, तेना ध्यानमां लीन बनवु, जेथी चित्तनी प्रसन्नता वधती जशे, अने अनुक्रमे ध्याता, ध्यान अने ध्येयनी एकता साधी शकाशे, अने ते एकता सिद्ध थतां समाधिसुखनो साक्षात् अनुभव थशे। __ जे मनुष्य सर्व कामनामोनो त्याग करी, निस्पृह थई 'अहं अने मम' एटले "हुं अने मारूं" ए भावने छोडे छ, अर्थात् निरहंकारी बने छे, तेज शांतिने-समाधिने मेलवी शके छ। श्रीगणधर भवतो पण 'लोगस्स सूत्र'मां तीर्थंकरपरमात्मानी स्तुति द्वारा प्रसन्नतानी मांगणी करीने उत्तम समाधिदशा प्राप्त थानो एवी प्रार्थना करे छे । 'तित्थयरा मे पसीयन्तु' (मारा उपर श्रीतीर्थंकर भगवन्तो प्रसन्न थानो) एवी प्रार्थना द्वारा साधकनु चित्त प्रसन्न थाय छे, एज प्रभुनी प्रसन्नता छ। भावनारोग्य, बोधिलाभ ए भावसमाधिनां कारणो छ। तेनाथी उत्तम समाधिनी प्राप्ति थाय छ । चित्तनी प्रसन्नताथी भावनारोग्यनी प्राप्ति थाय छ । भावपआरोग्य वडे बोधिलाभ प्रगटे छे अने बोधिलाभनी प्राप्तिथी समाधि प्रगटे छ। सामायिक पण समाधि स्वरूप ज छ । समतानो लाभ एज समायिक छ । समाधिदशाने प्राप्त थयेलो आत्मा पण परमात्मा साथे तन्मय बनी समतारसनुपान करे छ । १. बहिरातम तजी अंतरातमा-रूप थइ स्थिर भाव; सुज्ञानी। परमातमनुं हो पातम भाव, पातम अरपण दाव, सुज्ञानी ॥ -सुमतिनाथ स्तवन
SR No.249684
Book TitleAradhak Banvano Marg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay
PublisherBhadrankarvijay
Publication Year
Total Pages64
LanguageGujarati
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size5 MB
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