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________________ ५२ श्री कापरड़ा स्वर्ण जयन्ती महोत्सव अन्य भावअध्यात्म के भावअनाहतने साधनारा होय तोज आदरणीय बने छ । नहिं तो तजवा योग्य छ । कहयुछे के: 'नाम अध्यातम ठवण अध्यातम, द्रव्य अध्यातम छंडो रे; भाव अध्या म निज गुण साधे, तो तेहशुरढ मंडो रे ।' अहीं अनाहत पण आत्मानां शुद्धस्वरूपने प्रगटववा माटे कराती विशिष्ट ध्यान क्रिया होवाथी ते भावअध्यात्म रूप छ । अष्टांग योग अने अनाहत योगना आठ अंगोमांथी प्रथमना चार (यम, नियम, आसन, अने प्राणायाम) द्रव्ययोग के हठयोग कहेवाय छे, अने प्रत्याहार धारणा, ध्यान अने समाधि ए. चार भावयोग के राजयोग कहेवाय छ। अनाहतनो पण धारणा, ध्यान अने समाधिमां अंतर्भाव थई शके छे। 'धारणा योग-यंत्रमा पालेखायेल अनाहतमां चित्तने स्थिर बनाववाथी अनाहतनी धारणा थइ शके छे । ध्यान योग-पदस्थ ध्यानरूपे 'अह" आदिनो जप अंते अनाहतनादमां विश्रान्ति पामे छे, एटले अनाहत ध्यान रूपे परिणमे छे, एटलुज नहीं पण पिंडस्थ, रूपस्थं के आज्ञाविचयादि कोई पण सालंबन ध्यान अंते अवश्य 'अनाहत' स्वरूपने धारण करे छे । ज्यारे ध्याता संभेद प्रणिधान द्वारा ध्येय साथे 'अभेद प्रणिधान साधे छे, त्यारे अनाहतनो आविर्भाव थाय छ। साधक मंत्रराज 'अहं' नां अभिधेयरूप शुद्ध स्फटिक रत्न जेवा निर्मल अरिहंत परमात्मा ध्यान करे छे, अने ते ध्यानना आवेशमां 'सोऽहं सोऽहं (तेज हुं) एरीते प्रांतरिक स्फूरण सहज भावे थाय छे, ते अवस्थाने अनाहतनादननी पूर्वावस्था कही शकाय। ते वखते साधक अरिहंत (ध्येय) साथे निःशंकपणे एकतानो अनुभव करे छ, अर्थात् 'परतत्त्व समापत्ति' रूप अभेद प्रणिधानने सिद्ध करे छे। त्यार पछी राग द्वेषादिथी रहित, सर्वज्ञ, सर्वदर्शी इन्द्रादि देवोथी पूजित समवसरणमां बेसी शुद्ध धर्म नी देशना आपता एवा पोताना आत्माने चितवे, आ १. धारणा तु क्कचित् ध्येये, चित्तस्य स्थिरबंधनम् ॥ २. ध्यानं तु विषये तस्मिन्, एकप्रत्ययसंततिः ॥ ३. जे ध्यानमां ध्यातानो ध्येय साथे संश्लेषरूप अथवा सम्बन्धरूप भेद छ । अर्थात् वाच्य साथे अभेद साधवानुं स्थान सहस्रार छे, तेमां प्रवेश करवा माटे जे ध्यान करवं, ते संभेद प्रणिधान छ । ४. जे ध्यानमां स्वयं ध्येयरूप थई ध्येयनी साथे पोताना प्रात्मानो सर्व प्रकारे अभेद साधवानो होय छे, ते अभेद प्रणिधान छ ।
SR No.249684
Book TitleAradhak Banvano Marg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay
PublisherBhadrankarvijay
Publication Year
Total Pages64
LanguageGujarati
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size5 MB
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