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________________ महामंत्रनी अनुप्रेक्षा ३३ मागम-अनुमान-ध्यानाभ्यास नमो पदथो धर्मनु श्रवण, अरिहं पदथी धर्मनु चिन्तन अने ताणं पदथी धर्मनी भावना थाय छे । श्रुत, चिन्ता अने भावनाने अनुक्रमे उदक, पय अने अमृत तुल्य कह्यां छे । उदकमां तृषाने छीपाववानी ताकात छे, तेथी अधिक पय मां अर्थात् दूधमां छे अने तेथी पण अधिक अमृतमा छ। धर्मनु श्रवण विषयनी जे तृषाने छीपावे छे, तेथी अधिक तृषाने धर्मनी चिन्तवना आदि छीपावे छ । अने तेथी पण अधिक धर्मनी भावना-ध्यान-निदिध्यासनादि छीपावे छ । विषयनी तृषा अने क्षुधाने तृप्त करवानी ताकात प्रथम पदनी अर्थभावनामां रहेली छे, केमके तेना त्रणे पदोवडे धर्मनां श्रवण-मनन निदिध्यासनादि त्रणे कार्यों सिद्ध थाय छ। धर्मनी अने योगनी सिद्धि माटे जे त्रण उपायो शास्त्रकारोए दर्शाच्या छे, ते त्रणेनी आराधना प्रथम पदनी आराधनथी थाय छे । ते माटे योगाचार्योए का छे के: 'पागमेनानुमानेन, ध्यानाभ्यासरसेन च । त्रिधा प्रकल्पयन् प्रज्ञां, लमते योगमुत्तमम् ॥ आगम, अनुमान अने ध्यानाभ्यासनो रस ए त्रणे उपायोथी प्रज्ञाने ज्यारे समर्थ बनाववामां आवे छे, त्यारे उत्तम एवा योगनी अथवा उत्तम प्रकारे योगनी एटले मोक्ष मार्गनी प्राप्ति थाय छ । .. योग वडे जे मोक्षनी साधना करवानी होय छे, ते योग अने मोक्ष ए बन्नेनी प्रथम श्रध्धा आगमना श्रवण वडे थाय छ । पछी अनुमान, युक्ति आदिना विचार वडे प्रतीति थाय छे अने छल्ले ध्यान-निदिध्यासन वडे स्पर्शना-प्राप्ति थाय छ । आगम, अनुमान, ध्यान अथवा श्रुत, चिन्ता अने भावना ए अनुत्र मे श्रवण, मनन अने निदिध्यासनना ज पर्यायवाचक शब्दो छ । अने ते त्रणे अंगोनी आराधना प्रथम पदनी अर्थभावनायुक्त आराधना वडे थाय छ । । धर्मकाय, कर्मकाय प्रने तत्त्वकाय अवस्था तीर्थंकरोनी धर्मकाय, कर्मकाय अने तत्त्वकाय एम त्रण अवस्था होय छे । तेने शास्त्रनी परिभाषामां अनुक्रमे पिंडस्थ, पदस्थ अने रूपातीत नामथी संबोधवामां आवे छे। . धर्मकाय अथचा पिंडस्थ अवस्था प्रभुनी सम्यक्त्व प्राप्ति अनंतर थती धर्म साधनाने कहेवामां आवे छे। यावत् छेल्ला भवनी अदर पण ज्यां सुधी घातीकर्मनो क्षय थतो नथी, स्यां सुधी तेमनी जन्मावस्था, राज्यावस्था अने चारित्र ग्रहण कर्या बाद केवलज्ञान न थाय त्यां सुधीनी छद्मावस्थानी आराधना ए धर्मकाय अवस्था कही छे । त्यार बाद घातीकर्मनो
SR No.249684
Book TitleAradhak Banvano Marg
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay
PublisherBhadrankarvijay
Publication Year
Total Pages64
LanguageGujarati
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size5 MB
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