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________________ डिसेम्बर २०११ हुं नवि परणुं रे नारी इणि भवि रे, वली लेस्युं लेस्युं संयम योग रे, ३३ मुगतिरमणीस्युं अहमे चित्त लायस्युं रे, तेहथी लहिस्युं वंछित भोग रे. १२ नेमजी ..... ॥ ढाल फागनी राग काफी ॥ एणि समई मधुमास आवीयो हो, फूल्या सब सहकार, कृसनजी रमवा चालीया हो, साथि लेइ नेमिकुमार. १३ मनमोहन । नेमजी मन वस्यो हो, मन वस्यो नेमकुमार सखी ! यादवकुलशिणगार, मन..... [ आंकणी] गोपांगना टोलि मली हो, रमई माधवजी साथि, हाव-भाव करती थकी हो, नेमजी साथि लिई बाथि १४ मनहोमन..... जंबूवती पदमावती हो, बोलई बहु बोल नारि, परणो नारि तुमे नेमजी हो, भोगवो भोग संसारि. १५ मनमोहन.... नेम न बोलई नारिस्युं हो, तव बोलई गोपांगना एम, एक नारि पूरुं नवी पडई हो, तेणि पुरुषई अहो किजीइं केम.१६ मनमोहन..... एक नारि परणो तुम्हे हो, चिंत करसइ अम नाथ, मरकलडे नेमजी हस्या हो, मान्यु मान्य करती सब साथि. १७ मनमोहन..... ढाल राग गोडी ॥ ससनेहा सुणि वातडी एहनी ढाल । ह[व] उग्रसेन बेटी राजीमती रे, विवाह मेहलि एम, राजीमती हरखी घणुं रे, भलई पाम्युं वर नेम रे. १८ विरह निवारवा.. हवई शुभ लगनई शुभ दिनइ रे, परिणवा चाल्यो रे नेम, रथ बइंसी तोरण आवीया रे, आणी मन बहु प्रेम रे, विरह ...... पशुय पोकार सुण्यो तदा रे, सारथी प्रतिं कहिं सामि, कुण कारणि पशु मेलीयां रे, सारथी कहिं तिणि ठामि रे, १९ विरह... तुम विवाहनई कारणि रे, आण्या ए छई रे जीव, तेणि ए वधना भय थकी रे, करता छई बहू रीव रे. २० विरह....
SR No.229598
Book TitleNeminath Stavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamchandravijay
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages5
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size63 KB
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