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चरणकमलानामेयं फतेपुर लेख आसीस राग गुडन्यासी
विहलो तु जाओ भाइ दुत दुत नयर फतेपुर, जिहा छे गुरु माहरो हीरजी अ पडखे खीणु मत एक एक पंथ विचइ कीहां देखी नवनव कौतकां अ
जाए अवछीन पयाण प्रयाणे मनमाहि रषे आणे तु परिश्रमपण अ
दीजे गुरुजीने लेख लेख व्याच्यांनंतर करे, पाओ लागी विनती अ
आखडी अभीग्रहा अनेक अनेक गुज्जर संघनि गुरुदरीसण उपरवणां अ
करो कीपा महंत माहंत जगगुरुहीरजी
अबीग्रहा ते पोहो चढीयओ
पधारो प्रभु गुजराति गुजराति लाभ घणो होसि मनवंछीत अतिमोटकाओ
कोई कहेछि एम एम पत्रीष्ठा करावीय
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॥ १२२॥
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।। १२३ ।।
॥ १२४॥
॥ १२५॥
॥ १२६ ॥
॥। १२७ ।।
॥ १२८॥
जो आवी गुरु हीरजीओ
खरचाइव अनंत अनंत केई बोलि इम जो आवी० चोथाव्रततणी नांद नांद मडावा रंगसुं जो आवी०
मालारोपण उपधान उपधान वहिय भावस्युं,
॥ १३३॥
जो आवि माहरो हीरजीओ बारव्रतना पोसा पोसा समक्यत उंचरीइ जो आवि गुरु० ॥ १३४ ॥ जो आवि गुरुराज राज देई ओलंभा करी
बहुं बाड्णां
॥ १२९ ॥
॥ १३०॥
॥ १३१ ॥
॥ १३२॥
॥ १३५॥
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