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________________ 46 अनुसन्धान ३९ एतलई ए बीजी पूजा बावनाचंदनई विलेपननी थइ । बावनाचंदन भावनाई थइनई पूजो तें विलेपननी वात दृष्टान्त ॥२॥ हवई त्रीजी पूजा चक्षु युगलनी कहे छ : राग-रामगिरी ॥ तिमिर संकोचनां स्यणना लोचनां, इम कही जिन मुखि भविक थापो । केवलज्ञान में केवलदर्शन, लोचन दोय ए देव आपो ॥१॥ तिमिर क. अज्ञाननई संकोचकारी क० टालणहार एहवां रत्नजडित लोचन प्रभूनां छई, इंम कहीनइं प्रभुमुखई अरें भविक प्राणीओ ! भव्य जीवो! चायुगल जडावनां थापो । ते देखीनई तिहां सी भावना करइ ? प्रभु जिम तुह्मारइं अक्षय केवलज्ञांन १, अक्षय केवलदर्शन २, रूप ए बे लोचने करी सहित एहवो तूं छई, तिम ते लोचन अमनइ पणि हे देव ! आपों। ए भावना ॥१॥ अथवा वली पाठांतरि त्रीजी पूजामां अंगलूणां २, तेहनी पूजा कहीं छइं : अहव पाठंतरि त्रीजीय पूजामां, भुवन विरोचन जिनप आगई । देव चीवर समु वस्त्र युग पूजतां, सकल सुख स्वामिनी लील मागइं ॥२॥ त्रिभुवननई विषइ-विरोचन कहतां सूर्य समान एहवा जिनप आगे कहतां जिनेश्वर आगई-आगलें देवचीवर कहतां देवताना वस्त्रयुगलने बे वस्त्रनी पूजा करतां ए भावना भावइ: सकल सुख जे मोक्षनां तेनी प्रभुतानी जे लीला, जन्म-जरा वीगर तेनी लीला, स्वामी पासई मांगई छई जाणीइं । ___ गीतं । राग-अधरस । रयण नयण करी दोय माणिक लेके मेरे जिनमुखई दीजई । केवलज्ञान में केवलदरसन हमु परि कृपा करी प्रसाद कीजै ॥१॥ ए त्रीजी पूजा- अधरस रागें कहई छई गीत प्रतई । स्यण क० रत्नजडित नयण करी एतलई चक्षुयुगल, एहवां बें माणिक ते लेइनई मेरे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
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