SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुसन्धान ३९ श्रीजीननी बारमी कुसुमवृष्टिनी पूजा हर्षे करतो थको शुद्धभावे करें तो, सुवर्ण-पुरिसो मिलई हर्ष पामें-तेहथी पणि अधिक हरखिवंत थाइ]॥२॥ हवई बारमी पूजानुं गीत मेघमल्हार रागई कहइं छइ । ___ गीतं - राग मेघ मल्हार ॥ मेहला जिउं मिली वरसई करी करी फूलपगर हरैसई ... मेह० पंचवरण जानु-माने समोसरणि जिन( म) सुर मिली तिम करे श्रावक लोक । द्वादशमी "पूजा तिम जनमन मुर्दै फरसइं... मेह० ॥१॥ अथ मेघमलारमा गीत । श्रीजिनेश्वरनी पूजाई मेघनी परें घणे हदै पोहचें । मेघ जिम मिली वरसई तिम तिम फूलपगर करी करी हर्षइ वरसो । जिम जिम फूलपगर इंद्रे भर्यो ते भावें वितरागने फुलपगर भरो | वलण करवी । पंचवर्णी कुसुम जानुं कहतां ढींचण प्रमाणई भरें । वली “समवसरण मांहि जिम देवता मिलीने, च्यार नीकायना देवता भेला मिलै कुसुम वृष्टि करई, तिम-तिणे प्रकारें श्रावकलोक पणि भेला थइनें जिननी भक्ति करई, इम भव्य प्रांणी जे बारमी पूजा प्रभुनई करेंस्थे तेहनें जनम-जनम पातिक जाई, अनंता सुखनी स्पाशीना करई । लोक-भविक लोक, तेहना मनमां मुद-हर्षनई फरसो ॥१॥ #मर पई कहावति जड ति, जाणुं अधोवृंत पडतई ताण अधोगतिनाहि । जे हमु परि प्रभु आगलि पडि रे हमपरि नही तस पीड । कुसुमपूजा कहइ सुख लहइं, दिन दिन जस चढतई ॥२॥ मेह० ॥ हवइ कुसुममा जे भमर गुंजारव करे छई ते जांणीइं जड-कुसुमनी ९१. करी तो- ब. । ९२. मलार- ब. । ९३. दरिसइं ब. { ९४. प्रभुपूजा ब. । ९५. सुह फरस्यें ब. । ९६. समोसरणनें विर्षे - ब. ९७. भमर पई कहिवती जडती जे हमुपरें प्रभु आगलि पडे रे । हम परिं नही तस पीड कुसुम पूजा कहे सुख लहै दिन दिन जस चडतें ॥२॥ मे० - ब. । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy