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________________ 58 अनुसन्धान ३१ मननई मोहनहार धजा शोभावत छई । जिम देवताइं ध्वज कीधो महेंद्र, चोसट्ठ इंद्रे समोसरणनी रचना करी, तिम भव्य जीव-भविजन-प्रांणी ध्वजानी पूजा करतां थकां जीवें स्यूं पून्य उपायुं ? मनुष्यना भवनुं फल लीइं, लाहो लीजीई । तीर्थकर पदवीनो लाभ पांमई ॥२॥ इति नवमी पूजा ध्वजानी ॥९॥ हवें गौडी रागई धवलनी देशी, दशमी पूजा ग्रहणानी कहे छै । राग-गोडी : धवलनी देशी । लाल वर हीरडा पाछि पीरोजडा विधि जड्या ए मोतीय नीलूया लसणिया भूषणा तिहां जड्या ए । अंगद रयणनो मुगट कंठाउलि कीजीइं ए काने रविमंडल सम जिनकुंडल दीजीइ ए ॥१॥ लाल-राता वर-प्रधान जे हीरा-रत्नजाति, तथा पाछि नीलरत्न पास प्रवाली, पीरोजा ते हीरा रत्नजातिविशेष जाणवा । ते साथे विधिस्युं जड्या कारीगरें मोतीयल-स्वेत वर्ण मुक्ताफल नीलकर इति नीले रंगई नीलूयानीलमणि लसणिया प्रसीध अभंग हीरा, इत्यादिकई ते रत्ननां भूषण ग्रहणइंवीतरागर्ने ग्रहणे जड्या छई । एहवां अंगद-अंगना-बाहुनां भूषण एहवां तथा वली रत्ननो मुकुट, तथा वली कंठावली-गलानां भूषण, वली बीजां ग्रहणां । बें काननें विर्षे केवा कुंडल छै ? रविना मंडल सरीखां दीपतां कुंडल प्रभुने - जिनेश्वरनई वेहरावीई - दीजई क. थापीइं ॥१॥ चंद्रमा-सूर्यसमान बे कुंडल जिननें कानें । इम इणि प्रकार आपीई "चंद्र रवि मंडल, सम दोय कुंडल, जिनतणइं कानि इंम दीजीइं ए"..... ए पाठांतर ॥ हवें ग्रहणानी पूजा दशमी, तेहनो गीत तोडी रागई कहे छई । ७२. सोभायमान ब. । ७३. लालवर हीरडां पास पीरोजका ब. । ७४. लसणीआ भूषणें ब. 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229517
Book TitleSakalchandragani krut Sattarbhedi Pooja Sastabak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDiptipragnashreeji
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages37
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size666 KB
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