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णि पल्योपम सुहम आय उत्कृष्ट कहीइ, लहु एक अंतमुहुत्त मान आय पूरुं लहीइ, असन्नी अपजत्त होइ नहु होइ पजत्त, गुरु--लहु सरीखुं जाणिज्यो एक अंतमुहुत्त.
(दूहा)
मानुष सरीखा आऊखा, हस्त्यादिकनां होइ, तुरगादिक तिरियंचना भाग चउथइ ते जोइ.
छाली छगलादिक तणां, अठम भागई आय, गो- खर-महिषादिक सुणउ, पंचम भाग कहिवाय.
उष्ट्रादिक वली एहनां, पंचम भागई जाणि, सुणहादिकनां आउखां, दसमा भाग प्रमाणि जहिं जेहवां मानुष तणां, आय उत्कृष्टां होइ, तेह मान आदि करी, हस्त्यादिकनां जोइ.
पंचम आरइ आजनइ, वीसोत्तरसउ आय, सूत्रमति मानुष तणुं, एह थकी तिरि पाय.
भवि भवि भमतां जीवडई, बांध्युं नारक आय, नरग पहिलइ पुहुतु वली, तिहां सागर एक ठाय. वरस सहस दस लहु हुइ, हवई बीजइ कहुं जोइ, सागर त्रणि पूरा लहइ, लघु एक सागर होइ. आय उत्कृष्टुं लहि वली, त्रीजइ सागर सात, लघु सागर त्रिणि जांणीइ, चउथानी सुणउ वात.
दस सागर लघु सत्त तिहां, सतर सागर वली आय, पंचम नरगिं प्राणीउ, दस सागर लघु ठाय.
छठइ नरगिं नारकी, लहइ सागर बावीस, सतर सागर लघु जाणीइ, सुणु छेहिलि तेत्रीस.
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