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अनुसंधान-२९
तुरकीत जाला आगल पाला झूझाला तरवार झालीने दोडे होडाहोंडे जोडे बहु परिवार ||३५।। हयवर पाखरिआ रथ जोतरिआ घुघरीना धमकार सोवन चीतरिआ नेजा धरिआ परवरिआ असवार गज बेठा चाले रिपु मनि साले माले लिखमी सार एहवी ऋध पामे प्रभुने नामे सफल करे अवतार ॥३६॥
आर्या अवतार सार संसार माहिं, तेह जननो जाणिइं धन कमाइ धरम थानिक, जिणे लखमी माणिइं ॥३७॥
सुंदर रूप सुहामणुं, श्रवण सुणी नरनारि कोडि कर जोडि रहे, दरिसणने दरबारि ॥३८॥
छंद अर्धनाराच-रूपवर्णनम् प्रियंगु वन नील तन्न देखि मन मोहो सनूर सूर नूर थें अधिक्क जोति सोहओ अमंद चंद वृंद थे कला कलाप दीप्पो सुरेन्द्र कोटि कोटि थें जिणंद जोर जिप्पओ ॥३९॥ अभूल फूलबान के कबान तो न लग्गओ दुजोध क्रोध योध वैरि मान छोडि भग्गओ अदीन तूं सुदीन बंधु देहि मुक्ख मग्गओ शरण्य जानि स्वामि के चरण कुं बिलग्गओ ॥४०॥ सज्योति मोति योति / सुदंत पंति दीप्पो गुलाल लाल ओष्ट थे प्रवाल माल छिप्पओ सुवास खास वास थें कपूर पूर भज्जओ प्रलंब लंब बाहु थें मृणाल नाल लज्जओ ॥४१॥
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