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मार्च २००८
भासमां आवती वार्जित्र वाजे... आ पंक्तिमां (कडी ७) ते वखते थतो लोकव्यवहार देखाडे छे.
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कर्तानो तेज कर्तानी अन्य कोई कृतिनो उल्लेख मळतो नथी, परन्तु कर्ताना अने गांगजी ऋषि- लखमसी ऋषिना गुणोनो उल्लेख, कर्तान्ना प्रप्रशिष्य ऋषि माहावजीओ पोते लखेल कयवन्ना रासनी पुष्पिकामां करेल छे, ते पुष्पिका अत्रे नोंधुं छं :
संवत १८६१ वर्षे शाके १७२६ प्रवर्तमाने श्री फाल्गुन मासे कृष्ण पक्षे २ द्वितीया तिथौ मार्तण्डवासरे श्री वेरावल बंदरे श्री बृहल्लोकागच्छे सकल कोविदकलासाम्राजान् पूज्योत्तमपूज्यश्री ऋषि श्री ५ लखमसीजीजी तच्छिष्य सौभाग्यातिशयसूचिमूर्तिर्भूरिचतुर्दशविद्यालङ्कृतगात्रगुणयुक्त पूज्यश्री ऋषि श्री ५ गांगजी तत्शिष्य समस्तशास्त्राभ्यासेन धीरोदारगाम्भीर्यप्रकृतित्वाद् रूपसंपत्सुशोभितः पूज्यश्री ऋषिश्री ५ शिवजीजी तत्शिष्य सम्यक समतारसगुणोपेतान् साहित्यतर्कलक्षणज्योतिष्कागमछन्दालङ्कारगात्र इत्याद्यनेक-गुणयुक्त पूज्यजी ऋषिश्री ५ जगसीजी तत्शिष्य विद्यमान अनेकागम विचारस्तरतत्त्वबोधकान्यत्षट्त्रिंशद्रागग्रामगुणोपेतान् श्रीमद्गुरो दीक्षाशिक्षादिदायकान् पूज्योत्तम पूज्य श्री ऋषि श्री ५ खीमजीजी तत्शिष्य लिखी० ऋषि माहावजी स्वात्मार्थे ।
( २ )
श्री महानन्दऋषिकृत श्री जगजीवनऋषिभास
१
बन्ने भास विज्ञप्तिरूपे रचायेल छे. लोंकागच्छना श्री पूज्य जगजीवन ऋषिने पालनपुर पधारवानी विनंतीनुं वर्णन प्रथम भासमां छे. आमां जगजीवन ऋषि ओसवाळ वंशीय छे, जोईताराम तथा रतनादेवी तेमना माता-पिता छे तथा श्री जगरूपऋषि तेमना गुरु छे, तेवी दस्तावेजी विगतो प्राप्य छे. जन्मस्थान के वतन अंगे कोई निर्देश नथी.
पालनपुरना विविध श्रावक कुटुम्बोनो परिचय तेनां गोत्रोनां नामथी आमां मळे छे ते नोंधपात्र बाबत छे.
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