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जीवउ बालक बापडउ रे , वींटी छेदी आंगुली रे,
नाठउ वचन सुणी करी रे , नयण देखी सीहनइ रे,
सागरपोतनइ गोकुलइ रे, सुनंद नाम गोकुलतणउ रे,
सौम्य मूरति शिशु निरखिनइ रे , राख्यउ पुत्रपणइ करी रे ,
अनुक्रमि ते मोटउ थयउ रे, यौवनवय पाम्यउ तिहां रे ,
ल्युं विण धन ए पाशि , सु० बालक नइ कहइ नाशि.
॥७१. सु० थरहर ध्रुजइ तेह , सु० नासइ मृगजीव लेह.
७२. सु० ततखणि पुहतो सोय , सु० अधिपति तिहां किण जोय.
॥७३. सु० हरख्यउ सुनंद सुभचित्ति , सु० सुंप्यउ गोकुल वित्त
७४. सुः वधइ जंद(?) जयु नित्र , सु० अधिक पितानउ हित्र.
।।७५. सु० अंगुलिनउ अहिनाण , सु० हिव जीवित परमाण. ॥७६. सु० दूहा गोकुल देखण काजि तिहां कण सरखइ साजि. ७७ देखी सुंदर गात तब कहइ वीतक वात. मुनि भाखी जे वाच तउ सही थास्यइ साच.
हिव पूठइ चंडाल लइ रे , सागर देखी खुसी थयउ रे ,
सागर जायइ अन्यदा देखइ दामन्नक प्रतइ छेदी अंगुलि देखिनइ पूछइ सागर नंदनइ सुणी सेठ मनि चीतवइ बाह्य विभव स्वामी थयउ
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