SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 50 अनुसंधान-२९ चउद भवन तिणें सीर सांइ ते दिश तिथ हकारे पंथ वहंदा साहिब हंदा जाए ज्योति मझार । चउदश पूनम तीथ उजाली पोसह परव आराहो सामीवच्छल साहिब हंदो तीर्थधणी जुग ध्यायो !॥२१ आगमपंथ चतुरदश मोटी आगम शाशण ओपें ज्योति झलामल सिधा हंदी केवल मंडप जोपें । जोति जोत जगावी जोगण उपयोगण तिहां आवें अजोग धरी उपयोग चढंदां पुन्यम तेथ चलावें ॥३॥ लोकतणी संयोगण जोगण योग संकेलण कीधा सिध अनन्तसगतधणी छे जोगण ज्योति जगाइ आपणी शक्त अनंतीय जोगण लेई मिलो तिहां भाई ॥४॥ चउदे कांडना वेद जे च्यारे पुरव चउद पसारो दृष्टीवाद चवद भवने मुक्यो एह वखारो । उपयोगण वेद आराधे आगल सिध अनंता जेथे केवल लोक अनंतो वासो पंथ लीयो निज तेथे ॥१५॥ चतुरदश साहिब लेथ संभारो आगमधर्म विचारो केवल गुरुजी ज्ञान देखा. आगम सिध अखाडो । केवल सदगुरु पंथ वहंदा शिष्य चढंदा साथें धन्य जके नरनारी परजा वलगा सदगुरु हाथि ॥६।। इणविध आपनी पर्जना मानव सदगुरु साथि लीधा सूरा वीरा साथ सजीने पंथ प्रयाण ज कीधा । एह अजोग में जोग जे आगें तेह नगर दिश चाले केवल सदगुरु केवल परजा देख अगमपंथ हाले ॥७॥ चतुरदश बुझो केवलमांहि एह अगमतिथ आखी नित निवाज नि संध्यावन्दन पडिकमणां बुध भाखी । च्यारे यार ने च्यारे ही माणस चतुरविध संघ मिलावें वच्छल पोस करता चाले आप धणी निज ध्यावें ॥८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229353
Book TitlePannar Tithi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size590 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy