________________
47
अनुसंधान-२९ साहिब बेठो देख सिंहासण चामर चिहुंदिश ढालें नवरंग हमारो केवल सांमी आगें सेवक भालें । इंद्र सजोडो नवरस नाटक साहिबना गुण गावें देख धणीनी केवललीला जोगारंभ जगावें ॥४॥ साहेब जोग जगाडे साचो भोगतणो भंडार नाथ हमारो हे नवरंगो दीठो तेह दीदार । युगधणी युगयुगो आदि केवल धर्म जगा. भक्त-उधार करे भगवंता आगमपंथ अषाडे ॥५॥ ए नवरंगो साहिब निरखी सेवक साहेब हुंदा भजन भजंदा भाव करंदा युं फरमाण वहंदा । देख अलेखधणी युगराजा कीरत देव करंदा तुं बहोनामी अंतरजाभी केवल आदि जिणंदा ॥६॥ नवरस केवल नवलकलामें नवरंग सील धरावें नवधा विध वाड करी ध्रम रोप्यो आगमपंथ जगावें । नवदुरगाइ मंगल गावें योगण छप्पन्नकुमारी शाशणमाता जोगधणीयांणी धर्मधणी शिर धारे ॥७॥ जिनशाशननी सामण साची केवलरूप धरंदा युगधणी लखमीवरलीला बेठो राज करंदा ।। त्रिभोवनटीलो देख धणीने राग छत्रीशे रंगे मांड्यो नाटक खेल त्रिभंगी वाजा सघलां वाजे ||८|| नवरस केवल नेह जगाडे इंद्र अखाडो मांडे जागवयो जिणशाशण जंगी कीरत्त हे त्रिहुं खंडी । केवलसामी आतम पांमी देहीमा राज करंदा मुनीचन्द्रनाथ बडे जुग जालम सोही साहब हंदा ॥९॥
इतीश्रीनवरसज्ञानेश्वर श्रीमुनीचन्द्रनाथप्रकाशिते निजजगदीस्वर
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org