________________ 26 March-2002 वर्ण तणो परीसो जे सइहइसइ, अष्टकर्म ईधण परि दइहसइ / सकल पदार्थ लइहइसइ, हो० // 45 // मल परीसइ जे मुनीवर मातो, सुंदर दीसइ पंथि जातो / लोक सकल तीहा रातो, हो० // 46 / / जो सतकार न दइ शनमानो, तो तु म करीश मनि अभीमानो / हईडइ करजे सानो, हो० // 47 // विद्यातणुं अभीमान न कीजइ, मुर्यख तेहनि गाल्य न दीजइ / संयमर्नु फल लीजइ, हो० // 48 // करमि तुझ कीधो अग्यनांन, भणता देखी मइलुं ध्यान / म करीश जो तुझ सान, हो० // 49 / / समकीत सहु राखो मन साखि, को म म चुको कोटल लाखि / ___ रहीइ जिनवर-भाखि, हो० // 50 // ए बाविसइ परीसा जाणुं, जे खमसइ नर सोय वखाणुं / नाम रीदइम्हां आणुं, हो० // 51 // दूहा० // नाम रीदइम्हां आणीइ, आतम नीर्मल थाय / परीसइ जे नर नवी पड्या, कवी तेहना गुण गाय // 52 / / ढाल 15 / (14) / / देसी० ए तीर्थ जाणी पूर्वनवाणु वार० // बहु परीसइ सबलु, वर्धमान जिन वीरो / जस श्रवणे खीला, चर्णे संधी खीरो // 53|| खंधक सूस्यना सष्य, पंचसया मुनी जेहो / घाणइ पणि पील्या, मनि नवि डोल्या तेहो // 54|| मुनीवर नीत्य वंदो ग्यरुओ गजसुकमालु / शरि अग्यन धरंतां, जे नवी कोप्यो बालु // 55 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org