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________________ २८ इरियावहियं सूत्र इच्छा-कारेण संदिसह भगवन्! इरियावहियं पडिक्कमामि? इच्छं, इच्छामि पडिक्कमिउं १. इरियावहियाए, विराहणाए २. गमणागमणे ३. पाण-क्कमणे, बीयक्कमणे, हरिय-क्कमणे, ओसा-उत्तिंग-पणग-दग-मट्टी-मक्कडा-संताणा-संकमणे ४. जे मे जीवा विराहिया ५. एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया ६. अभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया,उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ७. (भावार्थ- इस सूत्र से चलते-फिरते जीवों की अज्ञान से विराधना हुई हो या पाप लगे हों वे दूर होते हैं.) तस्स उत्तरी सूत्र तस्स उत्तरी-करणेणं, पायच्छित्त-करणेणं, विसोही-करणेणं, विसल्ली-करणेणं, पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए, ठामि काउस्सग्गं. (भावार्थ- इस सूत्र से इरियावहियं सूत्र से बाकी रहे हुए पापों की विशेष शुद्धि होती हैं.) अन्नत्थ सूत्र अन्नत्थ- ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए, पित्त-मुच्छाए १. सुहुमेहिं अंग-संचालेहिं, सुहुमेहिं खेलसंचालेहि, सुहुमेहिं दिट्ठि-संचालेहिं २. एवमाइएहिं आगारेहिं, अ-भग्गो अविराहिओ, हुज्ज मे काउस्सग्गो ३. जाव अरिहंताणं भगवंताणं, नमुक्कारेणं न पारेमि ४. ताव काय ठाणेणं मोणेणं झाणेणं, अप्पाणं वोसिरामि ५. (भावार्थ- इस सूत्र में कायोत्सर्ग के सोलह आगारों का वर्णन तथा कैसे काउसग्ग करना वो बताया है.) (फिर एक लोगस्स का 'चंदेसु निम्मलयरा' तक का और न आता हो तो चार नवकार का जिनमुद्रा में कायोत्सर्ग करे, फिर प्रगट लोगस्स बोलें.) लोगस्स सूत्र लोगस्स उज्जोअ-गरे, धम्म-तित्थ-यरे जिणे. अरिहंते कित्तइस्सं, चउवीसं पि केवली * जो भव की भयानकता को जानता है वह धर्म की महानता को जानता है.
SR No.229251
Book TitleChaityavandan Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjaysagar
PublisherZ_Aradhana_Ganga_009725.pdf
Publication Year2012
Total Pages6
LanguageHindi
ClassificationArticle, Ritual, & Vidhi
File Size152 KB
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