SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 218 नियुक्ति साहित्य : एक पुनर्विन्तन 5. नियुक्ति गाथाओं का नियुक्ति गाथा के रूप में मूलाचार में उल्लेख तथा अस्वाध्याय काल में भी उनके अध्ययन का निर्देश यही सिद्ध करता है कि नियुक्तियों का अस्तित्व मूलाचार की रचना और यापनीय सम्प्रदाय के अस्तित्व में आने के पूर्व का था। यह सुनिश्चित है कि यापनीय सम्प्रदाय 5वीं सदी के अन्त तक अस्तित्व में आ गया था। अतः नियुक्तियों 5वीं सदी से पूर्व की रचना होनी चाहिए -- ऐसी स्थिति में भी वे नैमित्तिक भद्रबाहु (वि. 6वीं सदी उत्तरार्द्ध) की कृति नहीं मानी जा सकती है। पुनः नियुक्ति का उल्लेख आचार्य कुन्दकुन्द ने भी आवश्यक शब्द की नियुक्ति करते हुए नियमसार गाथा 142 में किया है। आश्चर्य यह है कि यह गाथा मूलाचार के षडावश्यक नामक अधिकार में भी यथावत् मिलती है। इसमें आवश्यक शब्द की नियुक्ति की गई है। इससे भी यही फलित होता है कि नियुक्तियाँ कम से कम मूलाचार और नियमसार की रचना के पूर्व अर्थात् छठी शती के पूर्व अस्तित्व में आ गई थी। 6. नियुक्तियों के कर्ता नैमित्तिक भद्रबाहु नहीं हो सकते, क्योंकि आचार्य मल्लवादी (लगभग चौथी पाँचवीं शती) ने अपने ग्रन्थ नयचक्र में नियुक्तिगाथा का उद्धरण दिया है -- नियुक्ति लक्षणामाह -- "वत्थूणं संकमणं होति अवत्थू णये समभिस्ढे"। इससे यही सिद्ध होता है कि वलभी वाचना के पूर्व नियुक्तियों की रचना हो चुकी थी। अतः उनके रचयिता नैमित्तिक भद्रबाहु न होकर या तो काश्यपगोत्रीय आर्यभद्रगुप्त है या फिर गौतमगोत्रीय आर्यभद्र हैं। 7. पुनः वलभी वाचना के आगमों के गद्यभाग में नियुक्तियों और संग्रहणी की अनेक गाथाएँ मिलती है, जैसे ज्ञाताधर्म कथा में मल्ली अध्ययन में जो तीर्थंकर नाम-कर्म-बन्ध सम्बन्धी २० बोलों की गाथा है, वह मूलतः आवश्यकनियुक्ति (179-181) की गाथा है। इससे भी यही फलित होता है कि वलभी वाचना के समय नियुक्तियों और संग्रहणी सूत्रों से अनेक गाथायें आगमों में डली गई है। अतः नियुक्तियाँ और संग्रहणियाँ वलभी वाचना के पूर्व हैं अतः दे नैमित्तिक भद्रबाहु के स्थान पर लगभग तीसरी-चौथी शती के किसी अन्य भद्र नामक आचार्य की कृतियाँ हैं। 8. नियुक्तियों की सत्ता वलभी वाचना के पूर्व थी, तभी तो नन्दीसूत्र में आगमों की नियुक्तियों का उल्लेख है। पुन: अगस्त्यसिंह की दशवकालिकचूर्णि के उपलब्ध एवं प्रकाशित हो जाने पर यह पुष्ट हो जाती है कि आगमिक व्याख्या के रूप में नियुक्तियाँ वलभी वाचना के पूर्व लिखी जाने लगी थी। इस चूर्णि में प्रथम अध्ययन की दशकालिकनियुक्ति की ५४ गाथाओं की भी चूर्णि की गई है। यह चूर्णि विक्रम की तीसरी-चौथी शती में रची गई थी। इससे यह तथ्य सिद्ध हो जाता है कि नियुक्तियाँ भी लगभग तीसरी-चौथी शती की रचना हैं। ज्ञातव्य है कि नियुक्तियों में भी परवर्ती काल में पर्याप्त रूप से प्रक्षेप हुआ है, क्योंकि अगस्त्यसिंहचूर्णि में दशवैकालिक के प्रथम अध्ययन की चूर्णि में मात्र ५४ नियुक्ति गाथों की चूर्णि हुई है,जबकि वर्तमान में दशकालिकनियुक्ति में प्रथम अध्ययन की नियुक्ति में १५१ गाथाएं हैं। अतः नियुक्तियाँ आर्यभद्रगुप्त या गौतमगोत्रीय आर्यभद्र की रचनायें हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229124
Book TitleNiryukti Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherZ_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_1_001684.pdf
Publication Year1994
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationArticle & Agam
File Size703 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy