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संदर्भ :
१. थारापद्र - वर्तमान थराद, जिला बनासकांठा, उत्तर गुजरात. २. मोढेरा- तालुका चाणस्मा, जिला महेसाणा, उत्तर गुजरात.
३. उमाशंकर जोशी - पुराणोमां गुजरात संशोधन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक ७; गुजरात विद्यासभा, अहमदाबाद १९४६ ईस्वी, पृष्ठ १६१. भोगीलाल सांडेसरा- जैन आगम साहित्यमां गुजरात संशोधन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक ८, गुजरात विद्यासभा, अहमदाबाद १९५२ ईस्वी, पृष्ठ १४९.
४. यह सूचना प्रो. एम. ए. ढांकी से प्राप्त हुई है, जिसके लिये लेखक उनका हृदय से आभारी है ।
५. स्व॰ डा. उमाकान्त प्रेमानन्द शाह से प्राप्त सूचना पर आधारित ।
६. प्रो. ढांकी से प्राप्त व्यतिगत सूचना पर आधारित ।
७. मधुसूदन ढांकी और लक्ष्मण भोजक "शत्रुंजयगिरिना केटलाक अप्रकट प्रतिमालेखो" सम्बोधि वर्ष ७, अंक १-४, लेखांक १-२, पृष्ठ १४-१५.
८. मोढेरे वायडे खेडे नाणके पल्लयां मतुण्डके मुण्डस्थले श्रीमालपत्तने उपकेशपुरे कुण्डग्रामे सत्यपुरे टङ्कायां गङ्गाहूदे सरस्थाने वीतभये चम्मायां अपापायां- पुण्ड्रपर्वते नन्दिवर्धन-कोटिभूमौ वोरः ।
शिवप्रसाद
"चतुरशीतिमहातीर्थनामसंग्रहकल्प" विविधतीर्थकल्प संपा. मुनि जिनविजय सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक १०. शांतिनिकेतन १९३४ ई. पृष्ठ ८५-८६.
९. वायपुरे जीवितस्वामिनं श्रीमुनिसुव्रतमपरं श्रीवीरं नन्तुं चलत "मन्दिउदयनप्रबन्धः" पुरातनप्रबन्धसंग्रह संपा. मुनि जिनविजय, सिंघी जैन ग्रन्थमाला, ग्रंथांक २, कलकत्ता, १९३६ ई०, पृष्ठ ३२.
१०. असे तीर्थमाला चैत्यवन्दन विधिपक्षगच्छस्य पंचप्रतिक्रमणसूराणि, वि. सं. १९८४.
११. यह सूचना प्रो. एम. ए. ढांकी से प्राप्त हुई है जिसके लिये लेखक उनका आभारी है ।
१२. थाराउद्वय - वायड - जालीहर - नगर - खेड-मोढेरे ।
अणहिलवाडनयरे व (च) ड्डावल्लीय बंभाणे ॥ २७ ॥
" सकलतीर्थस्तोत्र" A Descriptive Catalogue of Mss in the Jains Bhandars at Pattan G. O. S. No. LXXVI, Baroda 1937 A. D. PP. 155 156
१२. इतः श्रीविक्रमादित्यः शास्त्यवन्ती नराधिपः । अनृणां पृथिवी कुर्वन् प्रवर्तयतिवत्सरम् ॥७१॥
वायो प्रेषितोऽमात्यो तिम्यते
Nirgrantha
जनानृष्याय जीर्ण चापश्यच्छ्रीवीरधाम तत् ॥७२॥
उद्धारस्ववंशेन निजेन सह मन्दिरम् । अर्हतस्तत्र सौवर्णकुम्भदण्डध्वजालिभृत् ॥७३॥
"जीवदेवसूरिचरितम् " प्रभावकचरित संपा. मुनि जिनविजय, सिपीजैन ग्रन्थमाला ग्रंथांक १३, कलकत्ता १९४० ई. पृष्ठ
प्रभावकचरित पृष्ठ ४७-४८.
१७. वही, श्लोक ११८ और आगे.
४७-५३.
१४. सनिम्बोला
श्रीमहावीरप्रासादम चीकरत् ।
"जीवदेवसूरि प्रबन्ध" प्रबन्धकोश संपा. मुनि जिनविजय सिंघीजैन ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक ६, शांतिनिकेतन १९३५ ईस्वी सन्, पृष्ठ ७ ९.
१५. M. A. Dhaky Vayata Gaccha and Vayatiya Caityas Unpublished.
१६. "जीवदेवसूरिचरितम् " श्लोक १-४६,
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24. Padmananda Mahakavya Ed. H. R. Kapadia, G. O. S. No. L VIII, Baroda 1932 A. D. Prashasti, PP. 437-446.
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