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________________ १२ 1 113 ४ कथा "क्युपिड और साइक"" की कथाके नामसे, जर्मनी में "स्वान मेइडन के नामसे फासमें "मेलु सिना' की कथाके रूपमें, स्काटलैण्ड में "दी सील युमन" के रूपमें प्रचलित है। जिप्सियोंकी लोक-कथामें "दी विण्ड मेडन के रूपमें पहचानी जाती है। "कथा सरित्सागर" में मरुभूतिकी कथा है। यह भी इसी आधार-बीजकी कथा है। भागवत पुराण में कृष्ण गोपियोंके वस्त्रोंका हरण करते हैं। यह प्रसंग भी ऐसा ही है, जो यहाँ ध्यान देने योग्य है । इस प्रकारसे ऋग्वेदमेंसे उत्पन्न यह कथा भारतभूमिपर लिखे गये शतपथ ब्राह्मण, विष्णुपुराण, भागवतपुराण एवं अन्य पुराणों में विकसित हुई इस पृथ्वीपर लालनपालन प्राप्त कर रहा है ।" यह पुराण कथा बाद में पाश्चात्य देशोंमें भ्रमणार्थ निकलती है। ग्रीस की ठीक-ठीक पुराण कथाओं में यही आधारबीज मिलता है । श्री एन० एम० पेन्झरने इसका वर्णन विस्तारपूर्वक किया है । 10 और अनुमान लगाते हैं कि यूरोपकी प्राचीन मूल लोककथा में "हंसकुमारी" के आधारबीजका लेशमात्र भी अनुमान नहीं मिलता है।" वह कथा और उसका आधारबीज भारतवर्ष में से यूरोपीय देशों में आया है। इसी प्रकारसे ही यह पुराण कथा अफ्रीकाके और मध्य एशिया के देशोंमें प्रसारित हुई है ओ भारत पर किये गये यवन आक्रमणोंके कारण ही यह पुराण कथा और इसका आधारबीज पूर्व देशोंमें भी घूमता हुआ दृष्टिगोचर हो रहा है । जापानमें उर्वशी - पुरुरवाकी पुराण कथाने अपना नाम बदल लिया और वहाँ यह "हिकोहोहो- डेमी '३" के नामसे A Handbook of Greek mythology, by J. H, Rose, Pub, by Methuen University, paperback, London, 1964, p. 287. लोकसाहित्य विज्ञान डॉ० सत्येन्द्र प्रकाशक शिवलाल अग्रवाल एण्ड कं० आगरा, प्रथमावृत्ति, १०२२२. २. The Dictionary of Folklore Mythology & Legends, vol. II Maria Leach, p. 1091 The Folk Tale, p. 88. The Dictionary of folklore Mythology & Legends, vol. II, p. 705. लोकसाहित्यविज्ञान, पृ० २२२ । Y. Foik-Tales from Scotland, by Philippa Gallomay, Pub. by Collins, London, reprint, 1945, p. 8. 4. The Gipsy Folk-Tales, by Dora B. Yeats, Pub, by Phonix House Ltd., London, 1948 p. 56. ६. The Occen of Story, vol, VIII, p. 58. ७. 214. "" ८. एजन, पृ० २१७ । ९. एजन, पृ० २२६ । १०. एजन, पृ० २२६ ॥ ११. एजन, पृ० २२६ । १२. The Occen of Story, vol. VIII, p. 227. १३. The Dictionary of Folklore Mythology and Legends, vol. II, p. 705. Jain Education International For Private & Personal Use Only विविध: ३१७ www.jainelibrary.org
SR No.212293
Book TitleHothal Nigabhari aur Odh aam ki Suprasiddh Lokkatha ka Vastusamya evam iske Adhar Par Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushkar Chandarvakar
PublisherZ_Agarchand_Nahta_Abhinandan_Granth_Part_2_012043.pdf
Publication Year1977
Total Pages7
LanguageHindi
ClassificationArticle & Comparative Study
File Size604 KB
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