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________________ को सुबहको पहुँचे थे । इस दिन भी दरबारमें उपस्थित होने में उन्हें काफी देर हो गयी थी। बादशाह दीवान आमका दरबार समाप्त कर किले में भीतरी दीवान खासमें चले गये थे। कुमार रामसिंह शिवाजीको लेकर, भेंटके लिए वहीं उपस्थित हुए। सफेद पत्थरका बना हुआ यह दीवान खास भी जन्म-दिनके उपलक्षमें अच्छी प्रकारसे सजाया गया था । यहाँ भी ऊँचे दर्जेके अमीर-उमरा और राजा लोग सजधजकर अपने-अपने दर्जेके अनुसार खड़े थे । इसी दरबारमें शिवाजीकी भेंट औरंगजेबसे हुई थी और यहीं अपमानकी घटनासे लेकर, उसके बादकी घटनाएं घटी थीं। महाकवि भूषणने इसी दीवान खासके लिए, अपने ग्रंथ 'शिवराजभूषण' में बार-बार 'गुसलखाना' शब्दका प्रयोग किया है । प्रसिद्ध इतिहास-ग्रंथ 'मआसिरुल् उमरा, जिसमें मुगल दरबार तथा उससे सम्बद्ध अमीरों, सरदारों और राजाओंकी जीवनियाँ लेख बद्ध हैं, में 'सादुल्ला खाँ अल्लार्मा की जीवनीके अन्तर्गत इस 'गुसलखाने का स्पष्टीकरण इस प्रकार दिया हुआ है "यह जानना चाहिए कि दौलतखाना खास एक मकान है, जो बादशाही अन्तःपुर तथा दीवान खास व आमके बीच में बना है और दरबारसे उठने पर उसी मकानमें कुछ वादोंका निर्णय करनेके लिए बादशाह बैठते हैं, जिसकी सूचना सिवा खास लोगोंके किसीको नहीं मिलती। यह स्थान हम्मामके पास था इसलिए यह अकबरके राज्यकालसे गुसलखाने के नामसे प्रसिद्ध है । शाहजहाँने इसे दौलतखाना खास नाम दिया था।" जहाँगीरने भी अपने आत्मचरित्रमें इस 'गुसलखाने'का उल्लेख किया है। वह एक स्थानपर लिखता है कि-"१९वीं आबाँकी रात्रिमें प्रतिदिनके अनुसार हम गुसलखानेमें थे। कुछ अमीरगण तथा सेवक और संयोगसे फारसके शाहका राजदूत मुहम्मद रजाबेग उपस्थित थे।"४ एक दूसरे स्थानपर वह फिर लिखता है-"हलका भोजनकर नित्य प्रति हम नियमानुसार दीवानखानों में जाते और झरोखा तथा गुसलखानेमें बैठते थे।"३ इन उल्लेखोंसे स्पष्ट है कि 'गुसलखाना' एक भवन विशेष था, जहाँ बादशाहका खास दरबार लगा करता था। यद्यपि शाहजहाँने इसका नाम 'दौलतखाना खास' कर दिया था, फिर भी यह अपने पूर्व प्रचलित 'गुसलखाने' के नामसे ही पुकारा जाता था । वास्तव में यह मुगल सम्राट्का मंत्रणा-गृह था। शासन की बारीक समस्याएं यहीं हल होती थीं और विभिन्न सूबोंके बारेमें यहींसे आज्ञाएँ प्रचारित की जाती थीं। भूषणने भी इस भवनके लिए इसके पूर्व प्रचलित नाम 'गुसलखाना'का ही उल्लेख किया है। यहाँ यह बात विशेष रूपसे ध्यान रखनेकी है कि इतिहासकारोंका उक्त घटनाविषयक स्थान शब्द 'दरबार' सामान्य अर्थका बोधक है । बादशाहका दरबार जहाँ भी लगता था, चाहे वह दीवान आम व १. शिवाजी, डॉ० यदुनाथ सरकार, द्वितीय हिन्दी संस्करण, पृ० ७३ ।। २. मआसिरुल उमरा अर्थात् मुगल दरबार (हिन्दी-संस्करण), पृ० ३३२, ५वा भाग, ना० प्र० सभा, काशी। ३. दरबार आम खासका स्थान-ले० । ४. जहाँगीरनामा (हिन्दी, प्र० संस्करण), पृ० ४०१, ना० प्र० सभा, काशी। ५. वही, पृ० ३३५ । विविध : ३०९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.212018
Book TitleShivraj Bhushan me Gusalkhana ka Prasang
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedprakash Garg
PublisherZ_Nahta_Bandhu_Abhinandan_Granth_012007.pdf
Publication Year
Total Pages4
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size447 KB
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