________________ अब जाँच-भाजक 4 चुनकर 1364-341, 341-1=340, 140 -85, 85-1 =84 84 = 21, 21-1=20, 20=5, 5-1=4,41 अत: अभीष्ट साधारण निष्पत्ति 4 है। महावीराचार्य ने निम्न प्रकार के कुछ समीकरणों का भी उल्लेख किया हैa, Nbx +a Vb.(x-avbx)+a b{(x-1Nbix)-aVbox-aNb.x)}+...+R=x या (x-AVbux)-avbg(x-OVER) -a Vbo{(x-01/bx)-a/box-a by-.."=R यदि बाई ओर / पद हो तो परिमेयकरण करने पर x की 27 वीं घात का समीकरण बन जाता है / उचित प्रतिस्थापन करने पर उपरोक्त समीकरण निम्न प्रकार के एक साधारण वर्ग समीकरण में बदल जाता है x-ABx =R इसका फल महावीराचार्य ने इस प्रकार दिया है__TA+NA2+4A/B . 2 इस फल को आचार्य ने 'सार' कहा है। उपरोक्त समीकरण पर आधारित दो प्रश्न भी 'गणितसारसंग्रह' में मिलते हैं। यथा (1) "हाथियों के झुण्ड में से, उनकी संख्या के भाग के वर्गमूल का 9 गुणा प्रमाण और शेष भाग के भाग के वर्गमूल का 6 गुणा प्रमाण और अन्त में शेष 24 हाथी वन में ऐसे देखे गये, जिनके चौड़े गण्डस्थलों से मद झर रहा था। बतलाओ. कुल कितने हाथी हैं ?"2 हल-माना कि झुण्ड में हाथियों की संख्या है। अतः दिये हुए प्रश्नानुसार 1/3. +6/3 (-9/3 4 )+24=x y = x -9/2x रखने पर, तो x =150, 24 जब x -- 9 IT =60 और जब x-9 Vix = तो x =3 (6143_1385) 1. गणितसारसंग्रह, मध्याय 4, गाथा 52 2. वही, मध्याय 4,गाथा 54-55 जैन प्राच्य विद्याएँ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org