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________________ विषम संक्रमण का नियम-दो विशेष प्रकार के युगपत् वर्ग समीकरणों को हल करने की विधि को हिन्दू गणितज्ञों ने 'विषमकर्म' के नाम से सम्बोधित किया है। परन्तु महाबीराचार्य ने इसके लिए 'विषम संक्रमण' शब्द का प्रयोग किया है। ये विशेष प्रकार के युगपत् वर्ग समीकरण इस प्रकार के हैं x -y' = m तथा x --y-n......1 x2 - y2 = m x + y = p***** 2 इनको हल करने के लिए आचार्य ने इस प्रकार नियम दिया है। (1) x = (+n) और y = (" - ") (2) x = Fo+m) और y = (p-m) महावीराचार्य ने व्याज सम्बन्धी कुछ ऐसे प्रश्नों का भी उल्लेख किया है, जिनमें युगपत् वर्ग समीकरण का प्रयोग होता हैu+x = a, ur w=ax तथा +y = burw = ay _a-u b-u और x=(-1), y =(25) और =( b) के उपर्युक्त समीकरणों में // घन, तथा 5 अवधि के लिए, क्रमश: x और व्याज हैं तथा व्याज की दर प्रति लिए है / इसके अतिरिक्त ऐसे प्रश्न भी हैं, जिनमें निम्नलिखित समीकरणों का प्रयोग होता है +x = P ux w= am u + y = a, u v w =on यहाँ पर x व y अवधियाँ हैं / // मूलधन, w ब्याज की दर प्रति और m an व्याज की रकमें हैं। q-u .: 5= mg-np _m-n pa और x ; Im ) y = m -n P-9 . a(m-n) m-n)" " p-q)(mq-np) (4) भावित-xy=ax+by+C जैसे समीकरण को भावित कहते हैं। 'गणितसारसंग्रह' में इन समीकरणों की चर्चा नहीं है परन्तु ब्रह्मगुप्त और भास्कर द्वितीय में इन समीकरणों को हल करने की विधियाँ वर्णित की हैं। एकघात अनिर्णीत समीकरण ___अनिर्णीत समीकरणों का अध्ययन आर्यभट्ट से प्रारम्भ हो गया था, और उनके बाद के सभी भारतीय गणितज्ञों ब्रह्मगुप्त, महावीर, भास्कर आदि ने भी इस विषय का विवेचन किया है / भारतीय गणितज्ञों ने इस प्रकार के समीकरण 'कुट्टक', 'कुट्टाकार' 'कुट्टीकार' और 'कुट्टक' के नाम से सम्बोधित किये हैं। भास्कर प्रथम (522 ई०) ने इसके लिए 'कुट्टाकार' और 'कुट्ट' नाम दिये / ब्रह्मगुप्त ने इसके लिए 'कुट्टक', 'कुट्टाकार' और 'कुट्ट' शब्द प्रयोग किये हैं। महावीर ने इसको 'कुट्टीकार' के नाम से सम्बोधित किया है।' 1. गणितसारसंग्रह. अध्याय 6, गाथा ) 2. वही, अध्याय 6, गाथा 47 3. वही, प्रध्याय 6, गाथा 51 -4. गणितसारसग्रह, अध्याय 6, गाथा 791 जैन प्राच्य विद्याएं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.211448
Book TitlePrarambhik Jain Grantho me Bijganit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukutbiharilal Agarwal
PublisherZ_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf
Publication Year1987
Total Pages4
LanguageHindi
ClassificationArticle & Mathematics
File Size885 KB
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