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ग्रन्थों की सुरक्षा में राजस्थान के जैनों का योगदान
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मम्मट के काव्यप्रकाश की सम्बत् १२१५ की एक प्राचीनतम पाण्डलिपि जैसलमेर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है । यह प्रति शाकंभरी के कुमारपाल के शासन काल में अणहिल पहन में लिखी गयी थी। सोमेश्वर कवि की काव्यादर्श की सन् ११२६ की एक ताडपत्रीय पाडुलिपि भी यहीं के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। कवि रुद्रट के काव्यालंकार की इसी भण्डार में सम्वत् १२०६ आषाढ़ बदी ५ को ताडपत्रीय पाण्डुलिपि उपलब्ध होती है। इस पर नमि साधु की संस्कृत टीका है । इसी विद्वान द्वारा लिखित टीका की एक प्रति जयपर के आमेर शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। इसी तरह कुत्तक क वक्रोक्ति जीवित, वासन कवि का काव्यालंकार, राजशेखर कवि का काव्यमीमांसा, उद्भट कवि का अलंकारसंग्रह, की प्राचीनतम पाण्डुलिपियाँ भी जैसलमेर, बीकानेर, जयपुर, अजमेर एवं नागौर के शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत हैं।
कालिदास, माघ, भारवि, हर्ष, हलायुध एवं भद्री जैसे संस्कृत के शीर्षस्थ कवियों के काव्यों की प्राचीनतम पाण्डुलिपियाँ भी राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों में संग्रहीत हैं। यही नहीं इन भण्डारों में कुछ काव्यों की एक से भी अधिक पाण्डुलिपियाँ हैं। किसी किसी भण्डार में तो यह संख्या २० तक भी पहँच गयी है। जैसलमेर के शास्त्र भण्डार में कालिदास के रघुवंश की १४वीं शताब्दि की प्रति है। इन काव्यों पर गुणारतन सूरि, चरित्रवर्द्धन, मल्लिनाथ, समयसुन्दर, धर्म भैरु, शान्तिविजय जैसे कवियों की टीकाओं का उत्तम संग्रह है। किरात्जुनीय काव्य पर प्रकाश वर्ष की टीका की एक मात्र प्रति जयपुर के आमेर शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। प्रकाश वर्ष ने लिखा है कि वह काश्मीर के हर्ष का सुपुत्र है।
उदयनाचार्य की किरणावली की एक प्रति टीका सहित, आमेर शास्त्र भण्डार जयपुर में उपलब्ध है। सांख्य सप्तति की पाण्डुलिपि भी इसी भण्डार में संग्रहीत है । जो सम्बत १४२७ की है।' इसी ग्रन्थ की इसी प्राचीन पाण्डुलिपि जिसमें भाष्य भी है, जैसलमेर के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध है, और वह सम्बत् १२०० की ताडपत्रीय प्रति है। इसी भण्डार में सांख्यतत्वकौमुदी (वाचस्पति मिश्र) तथा ईश्वरकृष्ण की सांख्य सप्तति की अन्य पाण्डुलिपियाँ भी उपलब्ध होती हैं।
इसी तरह पातञ्जल योग दर्शन भाष्य (वाचस्पति हर्ष मिश्र) की पाण्डुलिपि भी जैसलमेर के भण्डार में सुरक्षित है। प्रशस्तपादभाष्य की एक १२वीं शताब्दि की पाण्डुलिपि भी यहीं के भण्डार में मिलती है।
__ अलंकार शास्त्र के ग्रन्थों के अतिरिक्त कालिदास, मुरारी, विशाखदत एवं भट्ट नारायण के संस्कृत नाटकों की पाण्डुलिपियाँ भी राजस्थान के इन्हीं भण्डारों में उपलब्ध होती हैं। विशाखदत्त का मुद्राराक्षस नाटक, मुरारी कवि का अनर्घ राघव, कृष्ण मिश्र का प्रबोधचन्द्रोदय नाटक, महाकवि सुबंध की वासवदत्ता आख्यायिका की ताडपत्रीय प्राचीन पाण्डुलिपियां जैसलमेर के भण्डार में एवं कागज पर अन्य शास्त्रभण्डारों में संग्रहीत हैं।
१. देखिये-जैन ग्रन्थ भण्डार्स इन राजस्थान, पृष्ठ संख्या २२० । २. वही।
सपार्यप्रवर अभिमापार्यप्रवर अभि श्रीआनन्द अन् श्रीआनन्द अन्य
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