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________________ विवेक-चूडामणि वेदान्तसिद्धान्तनिरुक्तिरेषा ब्रह्मैव जीवः सकलं जगञ्च । अखण्डरूपस्थितिरेव मोक्षो ब्रह्माद्वितीये श्रुतयः प्रमाणम् ॥४७९॥ वेदान्तका सिद्धान्त तो यही कहता है कि जीव और सम्पूर्ण जगत् केवल ब्रह्म ही है और उस अद्वितीय ब्रह्ममें निरन्तर अखण्डरूपसे स्थित रहना ही मोक्ष है । ब्रह्म अद्वितीय है-इस विषयमें श्रुतियाँ प्रमाण हैं। बोधोपलब्धि इति गुरुवचनाच्छ्रतिप्रमाणा-. com परमवगम्य सतत्त्वमात्मयुक्त्या । प्रशमितकरणः समाहितात्मा क्वचिदचलाकृतिरात्मनिष्ठितोऽभूत् ॥४८०॥ इस प्रकार गुरुके श्रुति-प्रमाणयुक्त वचन और अपनी युक्तियोंद्वारा परमात्मतत्त्वको जानकर चित्त और इन्द्रियोंके शान्त हो जानेसे कोई एक शिष्य निश्चल वृत्तिसे आत्मस्वरूपमें स्थित हो गया । कश्चित्कालं समाधाय परे ब्रह्मणि मानसम् । व्युत्थाय परमानन्दादिदं वचनमब्रवीत् ॥४८१॥ और कुछ देरतक परब्रह्ममें चित्तको समाहितकर फिर उस परमानन्दमयी स्थितिसे उठकर ये वचन बोला। http://www.Apnihindi.com
SR No.100007
Book TitleVivek Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankaracharya, Madhavanand Swami
PublisherAdvaita Ashram
Publication Year
Total Pages445
LanguageSanskrit
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size19 MB
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