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________________ भारत की खोज फिर एक महल में यही मुसीबत, यह मुसीबत सदा रहेगी, जब तक चूहे हैं बिल्ली यां हैं मुसीवत रहेगी। फिर चूहे इकटे हुए, उन्होंने कहा, 'क्या करें? कैसे विल्ली से बचें।' फिर बूढ़े चूहों ने कहा, 'समाधान तो हमारे ग्रंथों में लिखा हआ है। ऋषि-मनियों ने बताया हआ है कि विल्ली के गले में घंटी बांध दो। लेकिन फिर सवाल यह है कि घंटी कौन बांधे ? घंटी कैसे बांधे। दो जवान चहों ने कहा 'घंटी कल सबह हम वांध देंगे।' बढे हैं ने लगे। उन्होंने कहा, 'ना समझ हो, बच्चे हो घंटी कभी बांधी नहीं गई, बांधोगे के से?' लेकिन दूसरे दिन सुबह उन चूहों ने घंटी बांध दी। और बूढ़े बहुत हैरान हुए। यह तो कभी ना हुआ था। और उन जवान चूहों से पूछने लगे, 'तुमने घंटी बांधी के से? उन जवान चूहों ने कहा, 'आपने समाधान पकड़ लिया था और यह बात भी पकड़ ली थी कि यह हो नहीं सकता। और जो नहीं हो सकता उसको पकड़ा था। और नह । हो सकता यह भी पकड़ा था। इसलिए सोचने के आगे द्वार बंद हो गए। यह तो व हत आसान बात थी। उन दो जवान चूहों का एक कैमिस्ट की दुकान में आना जान | था वह नींद की गोली निकाल लाए। और बिल्ली के दूध में गोली डाल दी और घं टी बांध दी। बिल्ली सो गई, बेहोश हो गई, और घंटी बांध दी गई। लेकिन हजारों साल से बूढ़े चूहे यही कह रहे थे कि समाधान यही है और यह हो नहीं सकता। दो नों बातें पकड़े हुए हैं सोचना मुश्किल हो गया था। भारत के मन में भी समस्याएं पूरातन हैं। समाधान भी पूरातन हैं और करीब-करीब सव समाधान ऐसे हैं कि उनके साथ यह भी जुड़ा है कि यह हो नहीं सकता, हिंसा है अहिंसा समाधान है और हम सब जानते हैं कि अहिंसा हो नहीं सकती। गरीवी समस्या है और अपरिग्रह समाधान है कि धन का त्याग कर दो। और यह भी हम जानते हैं कि यह हो नहीं सकता। समाधान है वह भी हम जानते हैं नहीं हो सकता यह भी हम जानते हैं। और इन सबको पकड़े हुए बैठे हैं। समस्याएं खाए चली जात । हैं। समाधान दोहराए चले जाते हैं, नहीं हो सकता है यह भी जाने चले जाते हैं, प्रतिभा के लिए नए उपाय, नए आयाम, नए द्वार, तोड़ने का मार्ग नहीं रह जाता। तीसरे सूत्र में आपसे मैं कहना चाहता हूं जो समाज भी आदर्शवादी होगा। वह समा ज सड़ जाएगा, मर जाएगा, वह समाज विकसित नहीं हो सकता। यथार्थवादी समाज होना चाहिए। प्रतिभा का विकास यथार्थवाद के मार्ग से तो होता है आदर्शवाद के मार्ग से नहीं होगा। वह जो अइडीयलिस्ट है वह बातें तो आकाश की करता है। और समस्याएं जमीन की। और उसकी बातें बहुत अच्छी लगती हैं। लेकिन वह आकाश की हैं। और समाधान चाहिए पृथ्वी पर, और पृथ्वी का उससे कोई संबंध नहीं। भारत अच्छे लोगों के चक्कर में हैं। और अच्छी बातों के चक्कर में हैं। और अच्छे लोगों का चक्कर उतना ही खतरनाक है जैसे किसी आदमी के हाथ में सोने की जंज रें डाल दी जाएं। जंजीरें तो खतरनाक होती है, लेकिन सोने की जंजीरें और खतर नाक होती हैं। क्योंकि वह जंजीरें भी होती हैं और सोने की वजह से उनको छोड़ने Page 94 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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