SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारत की खोज कहा, 'तुम्हें कभी कोई असली आदमी मिला ।' उसका उत्तर वह दार्शनिक नहीं दे स का है। आपसे भी पूछा जाए तो उत्तर बहुत मुश्किल है । असली आदमी मिलना बहु मुश्किल है। असली आदमी वही हो सकता है जो जीवन की तथता को वह जो ज जीवन की सैक्टिशीटी है वह जो जीवन की सचनैश है जीवन जैसा है उसको वैसा स्वी कार करता है ना भयभीत है ना सुरक्षा की खोज में है ना चिंता में है । जीवन जैसा है जन्म है तो जन्म, मृत्यु है तो मृत्यु, स्वास्थ्य है तो स्वास्थ्य, बीमारी है तो बीमा री उसको अंगीकार करता है। जीवन की प्रत्येक स्थिति का जिसके मन में स्वीकार है और नए अज्ञान अपरिचित रास्तों पर जाने की जिसकी हिम्मत है जो डरा हुआ नहीं है वही आदमी आथेंटिक असली हो सकता है, प्रमाणिक हो सकता है। भारत न कली आदमियों की जमात हो गया है क्योंकि भारत ने पुरातन परंपरा को पकड़कर असली आदमी को पैदा होने की व्यवस्था बंद कर दी है । यह दूसरा सूत्र है जो पुरातन से बंधा है वह नकली आदमी है। जो अतीत से बंधा है वह भयभीत है और भयभीत आदमी कभी असली आथेंटिक प्रमाणिक नहीं हो सक ता। भारत की आत्मा आथेंटिक नहीं रह गई प्रमाणिक नहीं रह गई। अप्रमाणिक हो गई हैं। और फिर दूसरी जितनी अप्रमाणिकता पैदा हुई है इसी से पैदा हुई है। और जब तक यह अप्रमाणिकता नहीं मिटती है तब तक और किसी तरह की अप्रमाणि कता नहीं मिट सकती क्योंकि वह इसकी बाई प्रोडेक्ट है वह इससे आएगी। कल सुबह तीसरे सूत्र पर आपसे बात करूंगा, मेरी बातों को इतनी शांति और प्रेम से सुना उससे अनुग्रहित हूं। और अंत में सबके भीतर बैठे परमात्मा को प्रणाम करत हूं। मेरा प्रणाम स्वीकार करें। ओशो नए भारत की खोज टाक्स गिवन इन पूना, इंडिया डिस्कोर्स नं० ४ मेरे प्रिय आत्मन्, एक मित्र ने पूछा है. जैसा मैंने कहा, ‘सब आदमी नकली हैं।' उन मित्र ने पूछा है, 'कि नकली कौन है ? असली कौन है? हम कैसे पहचानें पहली तो बात यह है। दूसरे के संबंध में सोचें ही मत कि वह असली है या नकली । सिर्फ नकली ही आदमी दूसरे के संबंध में इस तरह की बातें सोचता है। अपने संबं ध में सोचे कि मैं नकली हूं या असली । और अपने संबंध में सोचना ही संभव है अ और जानना संभव है। इसलिए पहली बात है हमारा चिंतन निरंतर दूसरे की तरफ ल Page 67 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy