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________________ भारत की खोज इस दोहराने में. इस रिपिटीशन ने जंग लगा दी है। सारी मस्तिष्क को सारी मेघा क है. हमारी सारी बद्धि सड गई है। हमारे मस्तिष्क के पास सिवाय पराने उधार सडे ह ए समाधानों के और कछ भी नहीं है। इसीलिए जिंदगी में हम रोज हारते चले गए हैं। और आज भी हार रहे हैं और कल भी बहुत कम आशा दिखाई पड़ती है कि ह म जीत सकें क्योंकि जब तक यह मस्तिष्क है, यह पुराना दिमाग, तब तक हमारी जीत जीवन के संघर्ष में हमारी विजय असंभव मालूम होती है। क्योंकि प्रत्येक नई समस्या कहती है नया समाधान लाओ, और हम अपनी किताब में खोजने चले जाते है और पुराना समाधान ले आते हैं। वह पुराना समाधान काम न हीं करेगा। कोई पुरानी स्थिति फिर दोबारा नहीं दोहरती है। जो लोग कहते हैं कि हस्ट्री रिपीटस इटसैल्फस वह बिलकुल झूठ कहते हैं। जगत में कुछ भी नहीं दोहरता है। इतिहास कभी नहीं दोहरता है कुछ भी नहीं दोहरता है, कुछ भी दोहर नहीं सक है। कोई पुनरुक्ति नहीं हो सकती। इतना अनंत जाल है, कि पुनरुक्ति होना असं भव है। फिर से वही नहीं हो सकता जो था। ठीक वैसा नहीं हो सकता जैसा था। अ र अगर हमें दिखाई पड़ता है कि वैसा ही है तो वह सिर्फ हमारे देखने की नासमझी है। वह देखने की कम गहराई का सबूत है। वह देखने के सूक्ष्म विकास नहीं हो सका इसलिए हमें वैसा ही दिखाई पड़ता है। आ प कल सुबह भी आए थे, ना तो आप वही हैं, मैं कल सुबह भी आया था मैं भी व ही नहीं हूं। चौबीस घंटे में गंगा का बहुत पानी बह चुका। आपकी चेतना का भी व हुत जल बह चुका। आप वही नहीं हैं और अगर वही हैं, तो बहुत दु:खद है यह बा त क्योंकि आप फिर मरे हुए आदमी, सिर्फ मरा हुआ नहीं बदलता जीवन तो बदल ता चला जाता है। आप वही नहीं हो सकते जो कल थे। और इस घंटे भर के वाद जब आप इस हाल से निकलेंगे तो वही नहीं होंगे जो इस हाल में प्रवेश करते समय थे। कैसे वही हो सकते हैं, घंटे भर में कितना सव बदल जाएगा। घंटे भर में चित्त कितनी नई बातें सोचेगा कितना पुराना बह जाएगा, कितना नए का प्रवेश हो जाए गा। जीवन में पूराना कहीं भी नहीं है। जीवन तो प्रतिपल नया है लेकिन हमारा मन पूरा ना है। पुराने मन और नए जीवन में जो नहीं बैठता, तालमेल नहीं बैठता और तब, तव जिज पैदा होती है। परेशानी पैदा होती हैं, तब चिंता पैदा होती है। भारत के सामने जो बड़ी से बड़ी चिंता है वह यह है कि जिंदगी रोज-रोज नए-नए सवाल ख. डे कर देती है। और हमारे पास पुरानी कितावें हैं और पुराने समाधान हैं। अगर अ छूत के संबंध में फिर से सोचने का सवाल है तो मन की स्मृति खोल कर बैठे हैं य ह लोग और खोज रहे हैं कि मनुस्मृति में क्या लिखा हुआ है। कुल तीन हजार वर्ष पहले मनु ने क्या कहा है? उसका आज क्या उपयोग हो सकत । है? क्या अर्थ हो सकता है ? समस्या आज की है और विलकुल नई है। लेकिन हम समाधान सदा पुराने खोजेंगे। जिंदगी का सवाल उठेगा और आदमी गीता खोलकर समाधान खोजेगा। गीता किसी समस्या का उत्तर थी। अर्जुन के सामने कोई सवाल Page 50 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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