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________________ भारत की खोज वाद से. विचार से. तर्क से निकल आए। सत्य जीत जाएगा। मैं भी हार जाऊं. आप भी हार जाएं। हमारे हारने जीतने का कोई मल्य नहीं है सत्य जीतना चाहिए। ले कन धर्मगुरु कहता है मैं जीतूं कि तुम। सत्य से किसी को भी प्रयोजन नहीं है। पहली दफा कंसन फार टूथ सत्य से प्रयोजन, वैज्ञानिक दुनिया को दिया है। सत्य से प्रयोजन, व्यक्तियों से प्रयोजन नहीं। ना मेरा सवाल है, ना किसी और का सवाल है। सवाल यह है कि सत्य क्या है? आप खोजें सोचें विचारेलेकिन उसके लिए तो ओपिन माइंड खुला हआ मन चाहिए। एक अंतिम वात और वह यह कि भारत की बुनियादी भूलों में क्लोज्ड माइंड, बंद दमाग एक भूल है जिसकी वजह से विज्ञान पैदा नहीं होता। वैज्ञानिक पद्धिति को आ पननेस चाहिए, खुलापन चाहिए कोई द्वार, दरवाजा नहीं चाहिए दिमाग के ऊपर क्य । हम पहले से ही बंद किए बैठे हैं हमें पहले से ही पता है कि सत्य क्या है। जो आ दमी यह मानकर चलता है कि मुझे पहले से ही पता है। वह आदमी कैसे खोज करे गा। मुझे पहले से मालूम है आपको पहले से मालूम है हम दोनों लड़ें लेकिन कभी क ई निर्णय नहीं हो सकता संवाद नहीं हो सकता कौम्यनिकेशन नहीं हो सकता ता, विव द हो सकता है। आप चिल्लाते रहें, मैं चिल्लाता रहूं, कोई किसी की सुनेगा नहीं, क्योंकि दोनों पहले से तय हैं। प्रचुडिस दिमाग है इस मुल्क का सारा आदमी एक-एक आदमी पक्षपात से भरा हुआ है उसने सव तय कर रखा है। किसने तय किया हुआ है लेकिन. . . आप एक जैन घर में पैदा हो गए। बस इतना ही आपका कसूर है। कि आपके दिमाग में जैन शास् त्र घुसेड दिए गए। एक आदमी हिंदू घर में पैदा हो गया इतना ही उसका अपराध है। कि उसके दिमाग में हिंदु शास्त्र डाल दिए गए। एक आदमी मुसलमान घर में पै दा हो गया इतना ही उसकी भूल है। कि उसके दिमाग में कुरान डाल दिया गया। अब जिंदगी भर वह उसी को दोहराता रहेगा। और कभी नहीं खोजेगा क्या है सत्य ? कुरान को रखू अलग, गीता को रखू अलग, महावीर को नमस्कार करूं, वुद्ध को नमस्कार करूं | और कहूं कि मुझे भी खोजने दो, आपने अपने लिए खोज लिया मुझे भी इतनी कृपा करो। आप जाओ मैं खोदूं मैं भी कुछ जानने का कुछ प्रयास करूं | लेकिन नहीं, हमारे दिम [ग में सव भरा हुआ है और भरने की तरकीब आपको पता है क्या है। भरने की त रकीव आपको समझा कर नहीं भरा गया है। समझाकर गलत चीज भरी ही नहीं जा सकती। गलत चीज हमेशा विना समझाए भरी जाती है यह ध्यान रहे । इसी लिए सब धर्मगुरु चाहते हैं कि बचपन में ही बच्चों के दिमाग में धर्म डाल दिया जाए। क योंकि जवान होने पर समझाना जरूरी हो जाएगा। और समझाना वड़ा मुश्किल माम ला है। और गलत बातें समझाना तो बहुत मुश्किल है। अगर गणित पढ़ाना हो तो बीस साल के आदमी को पढ़ाया जा सकता है। क्योंकि ग णित के सीधे सूत्र हैं। गणित समझाया जा सकता है सच तो यह है कि जितना सत्य हो उतनी ही बड़ी उम्र में आसानी से समझाया जा सकता है। और जितनी असत्य Page 43 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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