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________________ भारत की खोज के सब बच्चे नाजायज हैं। क्योंकि सात चक्कर लगाने से कोई बच्चा जायज नहीं ह ो सकता। बच्चा सिर्फ एक बात से जायज हो सकता है कि स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम का संबंध रहा हो, प्रेम के अतिरिक्त और कोई चीज जायज नहीं हो सकती। ले किन प्रेम नाजायज हो सकता है । और कानून और व्यवस्था जायज है। तो जैसे ही हम प्रेम को बचाने की कोशिश करते हैं, पैसा उसकी जगह ले लेता है । फिर हम चाहते हैं कि पैसा भी जगह ना ले। यह नहीं हो सकता, यह असंभव है। इ समें कसूर विज्ञान की शिक्षा लेकर आ गए युवक का नहीं है। आज के पूरे समाज क ी व्यवस्था और विवाह के संबंध में सोचने का ढंग बुनियादी रूप से गलत है। एक व ात, और दूसरी बात, जो व्यक्ति वैज्ञानिक शिक्षा लेकर आया है जैसा मैंने सुबह कह ा वैज्ञानिक शिक्षा से कोई वैज्ञानिक नहीं हो जाता। और ध्यान रहे अगर आपके बेटे वैज्ञानिक शिक्षा से वैज्ञानिक हो गए तो आप दहेज देने से भी बड़ी मुसीबतों में पड़ जाएंगे। क्योंकि जो बच्चा वैज्ञानिक चिंतन करने लगा है वह कभी भी ऐसी लड़की से विवाह करने को राजी नहीं हो सकता जिससे उसका प्रेम नहीं है। यह बिलकुल अवैज्ञानिक बात है। वह बेटा इस बात के लिए भी राजी नहीं हो सकत ा कि बाप उसके लिए पत्नी चुने, वह बेटी भी राजी नहीं हो सकती वह मां और ब ाप उसके लिए लड़का चुनें। मां-बाप अपने साथी चुन नहीं पाए, वह उसका बदला अपने बेटों से ले रहे हैं । हर आदमी को कम से कम प्रेम करने का और जिंदगी में जिसके साथ रहना है उ से चुनने का सीधा हक होना चाहिए। कोई दूसरा आदमी यह काम नहीं कर सकता । मां-बाप कितने ही समझदार हों, लेकिन समझदारी से प्रेम का कोई हिसाब नहीं ल गाया जा सकता। गणित और हिसाव से प्रेम का कोई संबंध नहीं है। और मजे की बात यह है कि गणित में ठीक उतरते विवाह कर लेना खतरनाक है प्रेम में गलत उतरकर विवाह कर लेना ठीक है । प्रेम की गलती भी ठीक है गणित की ठीक भी ठीक नहीं। क्योंकि जिंदगी के रास्ते गणित के हिसाब के रास्ते नहीं है। लेकिन जब हमने हिसाव बिठा रखा है और जो बच्चे राजी हो जाते हैं उनके राजी हो जाने का कारण यह नहीं है कि उनको गलत शिक्षा मिली। उनके राजी हो जाने का कुल कारण इतना है कि उन्होंने विज्ञान की ऊपर से शिक्षा ले ली है भीतर से अवैज्ञानिक आदमी मौजूद है। वह जो गैर साईंटीफिक दिमाग है अगर ज्ञानी चित्त है वह मौजूद है। वह शिक्षा से नष्ट नहीं होता । वह अकेली शिक्षा से नष्ट नहीं होता । उसे नष्ट करने के लिए हमारे जो मन के आधार हैं उनको बदलना जरूरी है। जैसे, हम बच्चे को बचपन से ही सीखाते हैं विश्वास करो। जो बच्चा बचपन से सी खता है विश्वास करना वह बच्चा कभी वैज्ञानिक नही हो सकता है। क्योंकि विज्ञान का पहला सूत्र है संदेह करो । डाऊट विज्ञान का पहला सूत्र है। और हमारी सारी शि क्षा का पहला सूत्र है विश्वास करो। जो लड़का विश्वास करता है बचपन से विश्वास में दीक्षित होता है वह बच्चा स्कूल में जाता है। स्कूल का गणित का शिक्षक क T दो और दो चार होते हैं वह बच्चा इसमें भी विश्वास करता है। फिजिक्स का Page 25 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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