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________________ भारत की खोज वह जीवन को हल करने का मार्ग नहीं बताते। जीवन में नशें में दूब जाने अफीम पी लेने की व्यवस्था करते हैं और जब तक हम इन्हीं लोगों से पूछे चले जाएंगे। जब तक भारत की प्रतिभा साधु-संन्यासियों से ही पूछे चली जाएगी । तब-तब भारत बार -बार हारा बार-बार पराजित हुआ बार-बार दु:खी हुआ, बार-बार दांव चुक गया आगे भी दांव चुकता जाने वाला है। साधुओं से नहीं, जीवन से भागे हुए लोगों से न हीं, जीवन के संर्घष में उतरी हुई विज्ञानिक प्रतिभा से हमें पूछना पड़ेगा। क्या है ह ल? क्या है समाधान ? और अगर वह प्रतिभा नहीं हैं तो वह हममें पैदा करनी पड़ेग ी। वह प्रतिभा पैदा होती है, कैसे पैदा हो सकती है, उन सूत्रों कल सुबह, और पर सों सुबह आप से बात करूंगा। इस संबंध में जो भी प्रश्न हो वह आप लिख कर दे देंगे। ताकी सांझ उनकी बात हो सके। ओशो नए भारत की खोज टाक गिवन इन पूना, इंडिया डिस्कोर्स नं० २ मेरे प्रिय आत्मन्, सुबह की चर्चा के संबंध में बहुत-से प्रश्न पूछे गए हैं। एक मित्र ने पूछा है, 'पश्चिम से पढ़कर आए हुए युवक, विज्ञान और तकनीक की नई की नई शिक्षा लेकर आए हुए युवक भी भारत में आकर विवाह करते हैं तो दहेज मांगते हैं। तो उनकी वैज्ञा निक शिक्षा का क्या परिणाम हुआ । ' पहली तो बात यह है कि जब तक कोई समाज, अरेंज मैरिज विना प्रेम के और सामाजिक व्यवस्था से विवाह करना चाहेगा तब तक वह समाज दहेज से मुक्त नहीं हो सकता। दहेज से मुक्त होने का एक ही उपाय है, युवकों और युवतियों के बीच मां-बाप खड़े ना हों। अन्यथा दहेज से नहीं बचा जा सकता। प्रेम के अतिरिक्त विवा ह का और कोई भी कारण अगर होगा तो दहेज किसी ना किसी रूप में जारी रहेगा । दहेज हमेशा जारी रहा है। कुछ समाजों में लड़कियों की तरफ से दहेज दिया जात ा रहा, कुछ समाजों में लड़कों की तरफ से भी दहेज दिया जाता रहा । लेकिन दहेज दुनियां में जारी रहा है। क्योंकि विवाह की जो सहज प्राकृतिक व्यवस्था हो सकती है वह हमने स्वीकार नहीं की। समाज अब तक प्रेम का दुश्मन सिद्ध हुअ Page 23 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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