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भारत की खोज
सब इकट्ठे हो गए उसके स्वार्थ इकट्ठे हो गए। मालिक भी कोई फैक्ट्री पर इसलिए क ब्जा नहीं किए हुए कि मजदूरों का भला कर रहा है। उसका अपना स्वार्थ है। अब द ने स्वार्थ हैं एक मालिक का एक मजदरों का जिसमें जो वडा होगा वह जीत जाएगा । यह. . . कोई सवाल नहीं। दो स्वार्थ लड़ेंगे जो ताकतवर होगा वह जीत जाएगा। अगर मालिक की पुलिस अदालत साथ है तो पूना में मालिक जीत जाएगा, कलकत्ते में मालिक हार जाएगा। क्योंकि वह उसका सौदा अलग मजदर के साथ होगी। जो संघर्ष चल रहा है जगत में वह स्वार्थों का संघर्ष है। और सत्य तो सिर्फ उसको दिख ई पड़ सकता है जिसका कोई स्वार्थ ना हो। और इसलिए सत्य बहुत कम लोगों को दिखाई पड़ता है। बहुत कम लोगों को दिखा ई पड़ता है। सत्य की ताकत जो है उसका दूसरा आग्रह है. हां, हां बिलकुल ले गया, बिलकुल ले गया। लेकिन वह इस ढंग से ले गया। कि अब सारा मुल्क स्टैलिन का स्टैलिन को गाली दे रहा है. . . नहीं, नहीं, पहले समझ में आने भी नहीं देता वह वह तो गोली का मामला था ना गोमसेवादी हैं सव। स्टैलिन तो समझ में यह सब, स्टैलिन के जिंदा रहते. . . मैं कल सुना रहा था कि क्रुशचव कह रहा था आपको नहीं कह रहा था। कल मैं कह रहा था कि, 'क्रुशचव एक मीटिंग में बोल रहा था, उनकी जो कम्युनिज्म है सारे बड़े ने ताओं की तीस सदस्यों की, उसमें वह बोल रहा था। और उसने स्टैलिन का उसने ि वरोध किया मर जाने के बाद, स्टैलिन के। तो एक सदस्य ने पीछे से आवाज लगाई कि, 'आप तव कहां थे जब स्टैलिन जिंदा था, तब आपने क्यों नहीं विरोध किया और आप तो जीवन भर से स्टैलिन के साथ थे।' क्रुशचव एक क्षण के लिए रुका और उसने पूछा कि, 'यह किस सज्जन ने आवाज लगाई है कृपया खड़े होकर अपना नाम बता दीजिए।' तो कोई खड़ा नहीं हुआ कोई
नाम नहीं आया। क्रूशचव ने कहा कि, 'बस यही कारण मेरे साथ था जो तुम अपन । नाम नहीं बता पा रहे हो। जो मैं तुम्हारे साथ कर सकता हूं वही स्टैलिन मेरे सा थ कर सकता था। तो समझ रहे हैं ना, वह नहीं बता सका आदमी क्योंकि बताना मतलब मरना है। क्रू शचव ने कहा कि, 'यही मामला मेरा था, मैं भी सब सूनता था देखता था, लेकिन बोल नहीं सकता था। लेकिन मूल्क ने बहुत बुरा वदला लिया स्टैलिन के साथ। पहले
उसकी कव्र वनाई कैमलीन के पास जहां लेनिन की कब है। फिर कव्र को उखाड़ा, हटाया वहां से। वहां से हटा दी कव्र को, लाश को हटा दिया वहां से वहां नहीं रख ने दिया किसी ने। तो स्टैलिन ने काम बहुत किया, लेकिन काम जिस ढंग से किया कोई अस्सी लाख आदमियों की हत्या की, रूस में। अकेले स्टैलिन की हुकूमत में अस् सी लाख लोग मारे गए। वाचक-उनको बचाया जा सकता था। अस्सी लाख को भी बचाया जा सकता था। इतनी बड़ी संख्या में हिंसा की जरूरत न ही थी। लेकिन हिंसा अगर वचाई जाती तो स्टैलिन को नहीं बचाया जाता। फिर स्टै
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