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भारत की खोज
अव जो दनिया आई है अब हमने टैक्नोलोजी का ऐसा विकास कर लिया कि अब व टन दबाने से सारे घर की बिजली दव जाती है। परुष दवाए कि स्त्री दवाए यह सवा ल नहीं है। और इसलिए कोई ताकत की जरूरत नहीं कि कोई पहलवान लाना पडेग [ जो बटन दबाए। टैक्नोलोजी के विकास में ताकत आदमी के हाथ से खत्म कर दी । ताकत मशीन के पास चली गई और मशीन ना स्त्री है ना पुरुष । अव मशीन को चलाने की बात है वह कोई भी चला सकता है। तो पहली दफा दुनिया में टैक्नोलाज
ने ऐसी हालत ला दी है कि स्त्री और पुरुष दोनों कमा सकते हैं। और इसलिए अ व स्त्री को गुलाम होने की जरूरत नहीं। अब वह मित्र हो सकती है। लेकिन पूरव के मुल्कों में अभी भी नहीं हो सकते। क्योंकि पूरब की स्त्रियां बेवकूफी की बातें मानती चली जा रही हैं, अभी भी। सच बात तो यह है कि स्त्री ठीक से ि शक्षित हो जाए तो उसे पुरुष के पैसे पर निर्भर होने से इनकार करना चाहिए। विल कुल इनकार करना चाहिए। क्योंकि तुम पैसे की तो सारी सुविधा चाहो और सुगमत [ भी चाहो यह दोनों बातें बेईमानी हैं। नहीं, नहीं यह बेईमानी की बात है यानि क माए तो वह और बांटते वक्त दोनों मित्र होने का दावा करो। यह गलती बात है। वह जो कमाएगा वह बुनियादी रूप से मालिक होगा। तो जब दुनिया में थोड़ी और समझ वढ़ेगी जैसी समझ मैं चाहता हूं। तो कोई भी स्त्री अपने पति के पैसे को अपन [ नहीं मानेगी। वह यह कहेगी कि ठीक है तुमने कमाया है, ठीक है वह भी कमाएगी। यह दूसरी ब त है कि दोनों पूलअप कर लें। और दोनों मिलकर घर का काम चलाएं। लेकिन स्त्र डिपेडेंट नहीं होगी, वह कहेगी कि हम तो पैसे पर तुम्हारे निर्भर नहीं रह सकते। वाचक-वह सुपरीयोरटी कांप्लेक्स . . . ओशो-वह खत्म हो जाएगा, वह है इसलिए उसके कारण हैं ना, ना, ना। उसके का रण हैं। पश्चिम में वह खत्म होना शुरू हो गया। उसके तो कारण हैं। उस सुपरीयोर टी कांप्लेक्स जो है ना उसके लिए तो उसने कारण वनाए हुए हैं। सबसे बड़ा कारण तो पैसा है वह कमाता है। तुम निर्भर हो। तुम जब तक पैसे पर निर्भर हो तो तुम भयभीत भी हो कि अगर आज वह इंकार कर दे तो तुम कहां जाओगी? कल ही एक लड़की आई वह कहती है कि वह पति ऐसा ऐसा कहता है कि तुम य ह यह करो। वह नहीं करना चाहती। लेकिन है तो निर्भर पति पर, कपड़ा पति से लो, पैसा पति से लो, मकान पति से लो। तो फिर पति उसके साथ करता जाता है। .. . .जाओ कहां, वह कहती है कि, 'मैं जाऊं कहां? पिता कहते हैं कि मैं वहां लौट
आऊं। और वह कहते हैं कि हमने एक दफा बोझ उतार दिया हम क्यों झंझट में प. डें?' आखिर पिता भी वह भी पैसे का ही मामला हैं। लड़कियों को अपने पांव पर खड़े होने. . . . . लड़की को, सारी दुनिया की स्त्रियों को अगर स्वतंत्र होना है, और पुरुष की बरावर
हासिल करनी है तो यह वातचीत से होने वाला नहीं है उसके कारण मिटाने पड़ेंगे । जिनकी वजह से गैर वरावरी और बड़ा कारण आर्थिक है, सबसे बड़ा कारण आ
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