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________________ भारत की खोज वह उसका बेटा बड़ा हो जाए । यह तो समय गुजारना हुआ सिर्फ । लेकिन चूंकि हमें जिंदगी मे कोई अर्थ नहीं दिखाई पड़ता । इसलिए हम कुछ व्यर्थ के आधार खोज लेते हैं। और उसी को अर्थ मानकर जीते हैं। तो पहले तो मेरा कहना है कि जिंदगी खुद ही आधार है। इसलिए दूसरा आधार खो जना ही मत। खोजा तो असली आधार खो जाएगा। बच्चे को आधार मत बनाना ज ळीने का, तुम्हारे जीने से बच्चा आ जाए यह समझ में आने वाली बात है। तुम इतने आनंद से जी रहे हो उसमें एक बच्चा भी आया तुमने उसको भी प्रेम किया लेकिन इसलिए तुम नहीं जीए कि यह बच्चा बड़ा हो जाए । तुम इस तरह जीए कि बच्चा भी बड़ा हुआ। लेकिन यह तुम्हारा कोई जिंदगी का ल क्ष्य नहीं था ।. हमें जीवन का आधार बनाना ही नहीं चाहिए। क्योंकि जीवन खुद ही आधार है। अपना ही आधार है और अगर जीवन का पूरा आनंद लेना है तो कोही आधार बनाना चाहिए और किसी चीज को नहीं । एक एक पल जीना चाहिए पूरी खुशी से । आधार बनाने वाला क्या है ? वह कहता है कि, 'अब मेरा लड़का बड़ा हो जाएगा, तो मैं उसके लिए मेहनत कर रहा है।' फर लड़का बड़ा हो गया। फिर वह कहता है, 'मेरी लड़की की शादी हो जाए, अब इसके लिए मेहनत कर रहा है।' वह जी ही नहीं रहा । यह तो आगे होता रहेगा, फर लड़के का लड़का हो जाएगा। फिर उसके लिए जी रहा है। पोस्टपोन कर रहा है जीने को। और क्या होगा लड़का बड़ा हो जाए शादी हो जाए बच्चे हो जाएं, तुम्हें क्या जीवन मिल जाएगा इससे ? मुझे तो जीना चाहिए इसी वक्त और पूरे आनंद से जीना चाहिए। और जीने को ही लक्ष्य मानना चाहिए । एक सांस भी ना लूं तो मुझे ऐसे लेना चाहिए कि हो सकता है कि यह सांस अंतिम हो। इसलिए इसे पूरे आनंद से ले लूं। कोई स्त्री मुझसे मिलने आई है तो हो सकता है कि कल मिलना ना हो सके। तो इससे पूरे प्रेम से मिल लूं। खाना खाने बैठा हूं हो सकता है कि सांझ खाना फिर ना हो। तो इस खाने को पूरे आनंद से खा लूं। ए क साड़ी पहनी है तुमने तो इसको ऐसे मत डाल दो। इसे पूरे आनंद से पहनों। जीव न की प्रत्येक छोटी-छोटी क्रिया को स्वनिर्भर बना दो। और उसमें पूरा रस लो पूरा आनंद लो। तो छोटे-छोटी क्रिया में दिनभर आनंद लेने से आनंद की बड़ी भारी राशी इकट्ठी हो जाती है। जो आदमी सुबह आनंद से उठा, और भगवान को धन्यवाद दिया कि आज फिर सूर ज के दर्शन हुए और आनंद से उसने सूरज को देखा । और फिर जिंदगी की सब छो टी चीजों में आनंद लिया, रात में सोया आनंद की एक श्रृंखला इकट्ठी हो गई सुबह से रात तक। और उसने कहा बहुत आनंदित हूं बहुत आनंद क्या है ? मेरा मतलब समझ रही हैं आप। मेरा मतलब यह है कि जीवन का आनंद ही जीवन का आधार है। इसलिए किसी सरे के सिर पर मत टालो उसे, टालना धोखा है। तो कोई कहता है कि मुझे यश मल जाए तो हमें बड़ा आनंद मिलेगा। लेकिन यश कल मिलेगा ना, अभी तो मिल Page 130 of 150. http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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