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________________ भारत की खोज भूखे मर रहे हैं। और दोनों के हाथों में राजनीतिज्ञ दोनों को बरगला रहे हैं और धो खा दे रहे हैं कि लड़ने से हमारा हित लड़ने में किसी का भी हित नहीं। किसी का भी हित नहीं है। नक्शों पर लकीरें बदल जाने में किसी का भी हित नहीं है। लेकिन बड़े मजे की बात है कि चीन और हिंदुस्तान लड़े हैं समझ में आता है महाराष्ट्र औ र मैसूर भी लड़ते हैं तब सर ठोक लेने का मन होता है या तो थोड़ी. . . लों के हाथ में सारा का सारा मामला खत्म होता हैअगर दनिया में कोई ताकत है तो राज सारी राजधानियों के राजनीतिज्ञों को पकड़ ले। और पागलखानों में डा ल दे। तो दुनिया आसान हो जाएं अभिशांत हो जाएं सारे पागल राजधानियों में इक ढे हो गए हैं। और उन्होंने सारी दुनिया को मैंकावूज बना दिया है। अब जहां अव मि साइलस रखे हुए हैं रूस में और अमरिका ने, एक चावी एक आदमी घुमा दे और । सब गड़बड़ हो जाएं। तो एक एक मिसाईल की चाबी तीन-तीन आदमियों को दी ह ई है। जब तीन आदमी चाबी लगाएं तब मिसाइल चल सकता है, अणु बम फेंका ज | सकता है क्योंकि खतरा है। एक आदमी का झगड़ा हो जाए पत्नी से और वह गुस्से में आ जाएं, और गुस्से में। आदमी को क्या नहीं सुझता कि खत्म करो। और एक आदमी का अपनी पत्नी से झ गड़ा हो गया वह मिसाइल चला दे, एटम, या हाईड्रोजन बम फेंक दे न्यूयार्क पर या मास्को पर तो आग लग जाए। सारी दुनिया इसी वक्त वर्वाद हो जाए। तो तीन-ती न आदमियों को चावी दी। लेकिन तीन आदमी साठगांठ कर लें फिर या तीन आदी मयों का दिमाग खराव हो जाएं। हजारों आदमियों का एक साथ दिमाग खराव हो ज ता है तीन की क्या बात है। हिंदू मुस्लिम दंगा हुआ तो हमने नहीं देखा कि हजारों आदमी एक साथ पागल हो ग ए। तीन आदमी का दिमाग खराव नहीं होता, तीन आदमी अगर ज्यादा शराब पी। जाएं। आज दुनिया में कोई पचास हजार उर्जन वम इकट्ठे हैं और इन इकट्ठे हुए उर्ज न बमों से इतना बड़ा खतरा पैदा हो सकता है कि इतना कि इस तरह की सात पुस् ते जलकर नष्ट हो जाएं। इस खतरे पर हम बैठे हैं और राजनीतिज्ञों के हाथ में ता कत है। और आप पूछते हैं कि विज्ञान से खतरा ला रहा है विज्ञान खतरा नहीं ला रहा। विज्ञान सिर्फ ताकत ला रहा है ताकत सिर्फ गलत लोगों के हाथ में पड़ जाती है। खतरा शुरू हो जाता है। ताकत तो शुभ है या कहना चाहिए ताकत ना शुभ है , ना अशुभ है, ताकत के उपयोग पर निर्भर करता है। कि हम क्या उपयोग करते लेकिन हमारा चिंतन अगर वैज्ञानिक ना हो तो बड़ी गड़बड़ हो जाती है। एक आदम । आकर खड़ा होकर कह देता है कि हिंदू मुस्लिम दंगा हो गया। और हम लड़ना शु रू कर देते हैं और कोई भी नहीं पूछता कौन हिंदू है? कौन मुसलमान है? कैसे पता चला कि मैं हिंदू हूं? कुछ मालूम नहीं है, कोई लिखा हुआ नहीं है, भगवान के यह में से कोई सर्टीफिकेट लेकर नहीं आता। कि यह हिंदू है। कहीं चमड़ी पर खुदा हुआ नहीं है कि यह हिंदू है। सिर्फ बचपन से सिखाया गया है इस आदमी को कि तू हिंदू Page 121 of 150 http://www.oshoworld.com
SR No.100003
Book TitleBharat ki Khoj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size1 MB
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