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________________ भारत का भविष्य हमारी क्या तकलीफ है, गांधी जी ने आजादी क्या दिला दी, अब हम गांधी जी से पीड़ित रहेंगे न मालूम कितने समय तक। गांधी जी आजादी के लिए क्या लड़े हमें मुश्किल में डाल गए। अब हम न मालूम कितने हजारों साल तक उपद्रव बांधे रखेंगे कि गांधीजी ने यह किया, गांधीजी ने वह किया। जो किया वह उनकी मौज थी। बात खत्म हो गई। उसको अध्याय को खत्म करो। अब क्या करना है इसकी फिक्र करो। तो मैं व्यक्तियों में बहुत चिंता नहीं लेता। निश्चित ही उन्होंने काम किया है, और हजारों लोगों ने काम किया है। भगतसिंह का हाथ है, सुभाष का हाथ है, आजाद का हाथ है, गांधी का हाथ है, नेहरू का, तिलक का, गोखले का, सबका हाथ है। कौन आदमी आखिर में बचा यह बिलकुल सांयोगिक है। जिसको पूरा श्रेय मिल जाता है। लेकिन सबके हाथ हैं। और ठीक है, बात खत्म हो गई अब उसको कब तक लिए बैठे रहोगे। अब पंद्रह अगस्त को खत्म होने दोगे कि उसको पकड़े ही रखोगे। उसको जाने दो। बीस साल बीत गया, अब उसको छोड़ते नहीं, उसको कब तक पकड़े रहोगे। जो कौमें अतीत को इतने जोर से पकड़ती हैं कि उनकी ग्रिप भविष्य पर कम हो जाती है। अब भविष्य में कुछ आदमी पैदा करने हों तो गांधी को अब नमस्कार करो। उनको कहो कि अब आप जाइए, अब आप बहुत हो गए। और वे तो चले ही गए हैं। हमारी खोपड़ी खराब है, हम उनको पकड़े हुए बैठे हैं। अब जय गांधी कार लगाए रहो। तो उससे कोई अर्थ नहीं। जो इतिहास जा चुका वह जा चुका, उसमें अच्छा बुरा जो हुआ वह हुआ। सवाल यह नहीं है कि उसमें किसको श्रेय दें और किसको न दें। सवाल यह है कि उस इतिहास से अब हमारा भविष्य क्या होगा? क्या हम चरखा चलाते रहेंगे? क्योंकि गांधी जी को श्रेय देना है। तो फिर मुश्किल हो जाएगी। यह मेरे लिए इररिलेवेंट है। उसमें मैं कोई बातचीत करना ही पसंद नहीं करता। समय खराब करना है। मेरे लिए भविष्य है अर्थपूर्ण। अतीत निबट गया, उसका अब...जिस अतीत को हम बदल नहीं सकते उसकी बात भी क्या करनी। जिस अतीत को हम छ नहीं सकते उसका बात करने से फायदा भी क्या है। ठीक है, वह बात समाप्त हो गई। उससे कोई लेना-देना नहीं। आपके पिता आपको पैदा कर गए। अब आपसे ही काम है। अब आपके पिता ने आपको पैदा किया इसको कब तक चिल्लाते रहिएगा। पैदा किया यह बात ठीक है। बात खत्म हो गई। लेकिन अब इसी को गुणगान गाते रहिए जिंदगी भर कि मेरे पिता ने मुझको पैदा किया है। तो अब और कोई काम करना है कि यही गुणगान करना है? आप भी कुछ करिएगा कि पिता ने पैदा किया काम वही खतम कर गए आपका भी। यह दृष्टि गलत है। चीजें टोटल हैं और हमें रोज आगे बढ़ जाना चाहिए। आज में आपसे एक बात कह रहा हूँ अब वह कल आप उसको पकड़ें इसकी कोई जरूरत नहीं है। जितनी सार्थक होगी वह आप में डूब जानी चाहिए, खतम हो गई बात, मैं कल मर जाऊं भूल जाना चाहिए। याद भी करने की जरूरत नहीं है। बात खतम हो गई। हमें आगे बढ़ना चाहिए। जिंदगी रोज आगे है और हमारी खोपड़ी रोज पीछे की तरफ है। इससे हमारी दिक्कत है। तो मैं निरंतर कहता हूं कि हम भारत में अगर कार बनाएंगे तो उसमें हम सर्च जो लाइट है हेड लाइट वह पीछे लगाएंगे। चलेगी गाड़ी आगे लाइट पीछे पड़ेगा। क्योंकि हमको उड़ती पीछे की धूल देखने में बड़ा सुख है। अहा, कितना अच्छा रास्ता है। Page 196 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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