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________________ भारत का भविष्य या तो हम पागल हो जाएंगे, स्किजोफ्रेनिक हो जाएंगे, और हम जीने से इनकार कर देंगे कि हम नहीं जी सकते और या फिर हम एक छलांग लेने की तैयारी जुटाएंगे। यह तैयारी भारत के इतिहास में पहला मौका होगी। ऐसा मौका भारत को कभी नहीं आया था। यूरोप में ऐसा मौका नहीं आया जैसा हमें आया है, क्योंकि यूरोप को विज्ञान का विकास धीरे-धीरे हुआ है, वहां मेंढक की गर्मी धीरे-धीरे बढ़ी। वहां चमड़ी आहिस्ता बदली। यूरोप एडजेस्ट हो गया है। भारत के सामने जो सवाल है वह अमेरिका के सामने नहीं है, रूस के सामने नहीं है, वह यूरोप के सामने नहीं है। वह सवाल चीन के सामने भी नहीं है। क्योंकि चीन कोड़े के बल पर छलांग लगवा लेगा। बंदूक के बल पर छलांग लग जाएगी वहां । हिंदुस्तान के सामने बड़ा सवाल है कि लोकतांत्रिक देश, छलांग बंदूक के कुंदे पर नहीं लगवाई जा सकती। और इतिहास की प्रक्रिया में हम ऐसी जगह खड़े गए हैं, जहां हमें छलांग लगानी पड़ेगी, अन्यथा हम पागल हो जाएंगे। नया भारत अपनी पुरानी सारी शक्ति को बटोर कर एक बार अगर छलांग लगाने की तैयारी दिखाए। इस छलांग की तैयारी में जवान के पैरों की जरूरत होगी, बूढ़े की समझ की जरूरत होगी। अगर हम सारी ताकत इकट्ठी करके लगा सकें। लेकिन ऐसा लगता है कि यह नहीं हो पाएगा। क्योंकि मुल्क में सारी ताकतें तोड़ने वाली हैं। कोई महाराष्ट्रीयन को गुजराती से तोड़ता है। कोई हिंदी बोलने वाले को गैर-हिंदी वाले से तोड़ता है। कोई हिंदू को मुसलमान से तोड़ता है । कोई गरीब को अमीर से तोड़ता है। कोई दक्षिण को उत्तर से तोड़ता है। कोई बाप को बेटे से तोड़ रहा है। कोई शिक्षक को शिष्य से तोड़ रहा है। सारा मुल्क स्प्लिट है और सारा मुल्क खंड-खंड है। हम इकट्ठी ताकत कैसे लगा पाएंगे? अगर हम यह नहीं लगा पाए तो भारत नया होगा इसकी संभावना कम है। भारत विक्षिप्त हो जाएगा इसकी संभावना ज्यादा है। भारत पूरा का पूरा पागल हो सकता है, इसकी संभावना ज्यादा है। ये हमें विकल्प सीधे देख लेने चाहिए। एक रास्ता तो यह कि हम पागल हो जाएं, जिसमें हमारे राजनैतिक बड़े कुशल हैं, वे हमें पागल करवा सकते हैं। दूसरा रास्ता यह है कि जिसे हमें बहुत बुद्धिमत्ता पूर्वक भारत की सारी शक्तियों को इकट्ठा करके - भारत में न तो गरीब और अमीर के बीच कोई संघर्ष चाहिए अभी पचास वर्षों तक, न भारत में विद्यार्थी-शिक्षक के बीच कोई संघर्ष चाहिए, न भारत में स्त्री-पुरुष के बीच कोई संघर्ष चाहिए, न भारत में हिंदी बोलने वाले गैर-हिंदी बोलने वाले के बीच संघर्ष चाहिए। भारत में पचास वर्षों तक कोई संघर्ष नहीं चाहिए। भारत पचास वर्षों तक टोटल कोआपरेशन, पूर्ण सहयोग चाहिए। तो शायद हम नये भारत को जन्म देने में समर्थ हो सकते हैं। और अगर यह नहीं हुआ तो मैं समझता हूं कि जो होगा वह पुराने भारत से भी बदतर होने वाला। वह विक्षिप्त भारत होगा, पागल भारत होगा । आदमियों के पागल होने के संबंध में हमने सुना है, लेकिन आदमियों के पागल होने की जो स्थितियां होती हैं वे पूरे राष्ट्र के लिए हमारे लिए खड़ी हो गई हैं। पूरा मुल्क पागल हो सकता है। ये थोड़ी सी बातें मैंने कही हैं इस आशा में कि आप सोचेंगे। मैं कोई मार्गदर्शक नहीं हूं। इससे मुझे जो सीधी साफ बात है कह देने में सुविधा हो जाती है। आप मेरी बात मानें ऐसा आग्रह नहीं है, आप सिर्फ सोचें । Page 178 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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