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________________ भारत का भविष्य करेंगे और पूरा बंगाल झुक जाएगा और आज नहीं कल पूरा हिंदुस्तान झुक जाएगा। दो लाख आदमियों की बस्ती में दो सौ आदमी कुछ भी करना चाहें, तो दो लाख की बस्ती झुक जाएगी और राजी हो जाएगी। हिंदुस्तान पर चीन का हमला हुआ, तो सारा हिंदुस्तान कविता करने लगा था, आपको भी पता होगा। सारा हिंदुस्तान कहने लगा था कि हम सोए हुए शेर हैं, हमें छेड़ो मत! तो मैंने कई कवियों से पूछा कि शेरों ने कभी भी नहीं कहा है कि हम सोए हुए शेर हैं, हमें छेड़ो मत! छेड़ो और पता चल जाता है कि शेर है या नहीं! कविताएं करने की जरूरत नहीं होतीं। लेकिन पूरे हिंदुस्तान ने कविताएं कीं। जगह-जगह कवि सम्मेलन हुए, लोगों ने तालियां बजाइ[]। और जिन लोगों ने कविताएं की कोई को पद्मश्री की उपाधि मिल गई, कोई राष्ट्रकवि हो गया, किसी को राष्ट्रपति ने स्वर्ण-पदक भेंट कर दिए। और चीन हिंदुस्तान की जमीन दबा कर बैठ गया। और वे सोए हुए शेर सब वापस कविता करके सो गए। उनका कुछ भी पता नहीं चला कि वह कहां चले गए। लाखों मील की जमीन में चीन ने कब्जा कर लिया। तो हिंदस्तान के नेताओं ने बाद में कहना शुरू किया कि वह जमीन बेकार थी। वह जमीन किसी काम की ही न थी। उसमें घास भी पैदा नहीं होता था। अगर वह जमीन बेकार थी तो फिर जवानों को लड़ाना बेकार था। पहले ही जमीन छोड़ देनी थी। और अगर जमीन पर घास भी नहीं उगती थी तो उसके लिए लड़ने की कोई जरूरत नहीं थी। तो मैं उन नेताओं से कहता हूं कि अभी भी देश में जितनी जमीन और बेकार हो उसे चुपचाप दूसरों को दे देना चाहिए, ताकि कोई झंझट न हो, कोई झगड़ा न हो। यह जो हमारा चित्त है इस चित्त को मैं बूढ़ा, ओल्ड माइंड, बूढ़ा चित्त कहता हूं। यह बूढ़ा चित्त हर चीज में संतोष खोज लेता है। इस बूढ़े चित्त को तोड़ना पड़ेगा। अतीत की तरफ देखना बंद करना पड़ेगा, भविष्य की योजना बनानी होगी, संतोष छोड़ना पड़ेगा, एक। एक निर्माण की । असंतोषकारी ज्वाला चाहिए, एक सजन की आग चाहिए। और वह आग तभी होती है जब हम हर कुछ के लिए राजी नहीं हो जाते। जब हम दुख को मिटाने का संकल्प करते हैं, अज्ञान को मिटाने का संकल्प करते हैं, जब हम बीमारी को तोड़ने का संकल्प करते हैं, जब हम दीनता, दरिद्रता और दासता को मिटाने की कसम खाते है, तब भविष्य निर्मित होना शुरू होता है। Page 10 of 197 http://www.oshoworld.com
SR No.100002
Book TitleBharat ka Bhavishya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages197
LanguageHindi
ClassificationInterfaith & Interfaith
File Size2 MB
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