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________________ दुःख का मूल : लोभ २६ चारों भाइयों को बुरी तरह मरवा डालने और अपने पिता शाहजहाँ को कैद में डाल दिया। वहाँ भी उन्हें विष देकर मरवा झालने की साजिश औरंगजेब करता रहा। राजकुमार भोज को गुप्तरूप से मरवा डलने के लिए उसके चाचा राजा मुंज ने कितना गहरा षड्यन्त्र रचा था। वह तो भोज का पुण्य प्रबल था, इसलिए उसका वध न हो सका, लेकिन मुंज के लिए वाद में यह अत्यन्त पश्चात्ताप का कारण बना। विश्व के इतिहास में राज्यलोभ के कारण किये गए त्योह, वध, ईर्ष्या, छलकपट, तिकड़मबाजी एवं विद्रोह आदि की अनेक घटनाएँ मिलती हैं। देवला गाँव के एक गरीब बनिये ने एक दिन अपनी छोटी-सी दुकान पर आए हुए भूदेव ब्राह्मण को आदरपूर्व बिठाकर एक प्राचीन दोहा पढ़ने को दिया। दोहे के अक्षर बिना मात्रा के इस प्रकार थे उड कर दवल । उगमण दरबर। समसम ब झडव मयन न पर।। भूदेव ने गांव, नदी, दरबार, गढ़, बृक्ष आदि सभी के बारे में पूछकर दोहे का ठीक स्वरूप इस प्रकार निश्चित किया। डोडी कांठे देवला, उगमणे दरबार । सामसामे बे झाडवाँ मायानो ना पार।। दोहे का निश्चित और यथार्थ स्वरूप तथा उसका अर्थ समझते ही सेठ का मन उस धन को खोदकर निकलवाने के लिए। नलचाया । पर भूदेव ने कहा---'सेठ ! माया तो है, पर देवी है या आसुरी, इसका रहस्य जाने बिना उसे बाहर निकालना अपने विनाश को बुलाना है। सम्पत्ति अपने भाग्य में न हो तो सुखप्रद के बजाय अति दुःखप्रद हो जाती है। मेरी बात मानें तो इस धन लोभ में न पड़ना ही ठीक है।" परन्तु सेठ ने जब बहुत ही आग्रह लिया तो भूदेव ने कहा—'सेठ उतावले न बनो। यह गाँव ध्रोल रियासत में है। ध्रोलाठाकुर को पता लगेगा ही। तब आपको माया मिल भी जाए, पर हजम न होगी। फिर भी आपसे न रहा जाता हो तो मैं ध्रोलठाकुर को खबर कर दूँ और सम्पत्ति कर आधा भाग उनका और आधा मेरा इस प्रकार समझाकर इस स्थान को खुदवाऊँ। रे लिए तो यह धन गोमांस के समान है। मैं अपना आधा भाग आपको दे दूंगा। मुझे। मारते तो उन्हें ब्रह्महत्या के पाप का डर लगेगा, पर तुम्हारे नाम का आधा भाग रखा जाएगा तो मुझे शंका है, वह तुम्हारे परिवार का सफाया करा देंगे।" सेठ चौंका । परन्तु उसके मन में बात जम गई कि धन लोभी मनुष्य जो पाप न करे, वह थोड़ा है। कौरवों ने धनलोभ में ४६ लाख मनुष्यों का संहार करा दिया। धोल की राजगद्दी पर उस समय हराल जी के पाटवी कुँवर थे। ठाकुर अपने राज्य की तरक्की के लिए आस-पास के राज्यों को हथियाने की ताक में था। इसी बीच भूदेव ने ठाकुर से देवला गांव के खाने की बात कही। ठाकुर को यह बात
SR No.091010
Book TitleAnand Pravachana Part 9
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1997
Total Pages415
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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