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________________ • जन्माष्टमी से शिक्षा लो! [३०४] उर्दू भाषा के कवि ने भी बड़ी सुन्दर बात कही है। उसने कहा हैं : फितरत को ना पसन्द है सख्ती जबान में। पैदा हुई न इसलिए हड्डी जबान॥ प्रकृति को स्वयं ही किसी की रूबान से कठोर शब्द निकलें यह पसन्द नहीं है, इसलिये ही उसके द्वारा जबान में हड्डी नहीं रखी गई। अर्थात् बिना हड्डी के वह जैसी कोमल है, वैसे ही शब्दों का उच्चाराए करे। हमारे धर्मशास्त्र और 'संत-मुनि' पनि इसीलिये बार-बार कहते हैं कि 'सदा सोच-विचार कर बोलो! किसी का दिल खे ऐसी भाषा मत बोलो। तभी मनुष्य के लिए गोपाल शब्द का प्रयोग करना सार्थक होगा। जैसा कि कृष्ण को गोपाल कहना पूर्णतया सार्थक साबित हुआ था। तो बन्धुओ, आज जन्माष्टमी है और हमने एक महापुरुष श्रीकृष्ण वासुदेव के कुछ गुणों का स्मरण किया है। किसी भी महापुरुष की जयन्ती या जन्म दिवस मनाना तभी सार्थक होता है जब कि मनुषा उसके गुणों को स्मरण करने के साथ ही साथ उन्हें जीवन में उतारने का भी प्रयत्न करे। तभी वह प्रतिवर्ष मानव के हृदय में नई चेतना तथा नवीन शक्ति का स्त्रोत रहा सकेगा।
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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