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________________ • [१७३] अब थारी गाड़ी हकबा में ( अब थांरी गाड़ी हँकबा में धर्म प्रेमी बंधुओं, माताओं एवं बहनों! चौरासी लक्ष जीव-योनियों में मानव-योनि सर्वश्रेष्ठ कहलाती है। यह मानव देह बार-बार नहीं मिलती। नाना योनियों में भटकने के पश्चात् महान पुण्य-कर्मों के फलस्वरूप यह मानव-जीवन प्राप्त होता है। कहा भी है - हैं इस लोकाकाश के, संख्यातीत प्रदेश । जन्म-मरण कर जीव ने, छुआन कौन प्रदेश? एक जगह पर जीव है, जन्मा बार अनन्त । मरा अनन्ती बार है, कहते ज्ञानी सन्त ।। मानव-जीवन एक जंक्शन् सुनकर आपको थोड़ा आश्चर्य नगा कि मानव जीवन जंक्शन कैसे होगा? हम रेलगाड़ियों में बैठकर जाते हैं तो अवश्य अनेक स्टेशन और जंक्शन आते हैं पर मनुष्य-जीवन जंक्शन कैसे हुआ? है न यही बात आपके मन में? पर आश्चर्य जनक होने पर भी बात सर्वदा सत्य है। जिस प्रकार ट्रेन में चढ़ने-उतरने और टिकिट लेने के लिए बनाया हुआ स्थान स्टेशन कहलाता है, और जिस विशिष्ट स्थान पर से अलग-अलग दिशाओं में इन जाती है उसे जंक्शन कहते हैं, उसी प्रकार जीव के लिए जो चौरासी लाख योनियों हैं वे उसके जन्म-मरण के स्टेशन हैं । इस पृथ्वी पर बने हुए स्टेशन पर मनुष्य एक ट्रेन से उतरता है और दूसरी में चढ़ता है। इसी प्रकार भिन्न-भिन्न योरूप स्टेशन पर वह मरता है और पुन: जन्म लेता है। अब आई मानव-योनि के जंकशा होने की बात। आप जानते ही हैं कि धरती पर के इन जंकशनों पर पहुँचकर आप चाहें तो किसी भी अन्य दिशा की ओर जाने वाली ट्रेन का टिकिट लेकर उसमें बैठ सकते हैं अर्थात् किसी भी दिशा में जा सकते हैं। ठीक इसी प्रकार मानव-भव भी एक जंक्शन है तथा इस जंक्शन से आप चाहे जिस गति की ओर जा सकते हैं। टिकट लेने की आवश्यकता है प्रत्येक जंक्शन पर आप टिकिट लेते हैं तभी अपनी निर्दिष्ट दिशा की ओर जाने वाली ट्रेन में बैठ सकते हैं। इसी प्रकार उस मानव-जन्म रूपी जंक्शन पर
SR No.091002
Book TitleAnand Pravachana Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandrushi
PublisherRatna Jain Pustakalaya
Publication Year1994
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size7 MB
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