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ही शइकीया ने डिमि की ओर रिवाल्वर दिखलायी :
"नहीं देखी है तो अच्छी तरह देख ले ।"
डिमि ने रिवाल्वर की ओर देखा और कटाक्ष करते हुए कहा :
"ओह, तो मुझे मारने के लिए लाया है ?"
शकीया स्तब्ध हो गया । डिमि के सरल, निर्दोष चेहरे पर डर का कहीं कोई भाव भी नहीं था। हाँ, घृणा की झलक स्पष्ट थी । रिवाल्वर से भी वह नहीं डरती है, ऐसा सोचकर उसे आश्चर्य हुआ । वह कोई जवाब नहीं दे
पाया ।
“धनपुर को इसी से मारा था ? " डिमि ने प्रश्न किया ।
" धनपुर को मैंने नहीं मारा ।"
"तब किसने मारा ?"
"पता नहीं । शायद मिलिटरी ने, " शइकीया ने हकलाते हुए कहा ।
"तेरे जैसे ही कुत्ते ने मारा होगा, " 'दाव पर और अधिक कसाव डालते हुए sa ने आँखें तरेरकर टिप्पणी की।
शकीया का इसके पहले ऐसी निर्भीक महिला से कभी पाला नहीं पड़ा था । रिवाल्वर देखकर भी वह भयभीत नहीं हुई थी । कुत्ता कहे जाने के कारण उसका मन अपमान और प्रतिशोध की भावना से और भी अधिक दहक उठा । रिवाल्वर को हाथ में थामे हुए ही वह बोला :
"कुत्ता नहीं, बाघ कहो, बाघ !"
"वाघ ? दूसरे के हुक्म पर बाघ इस तरह किसी आदमी को नहीं मारता । वह वन का राजा होता है । बाघ नहीं, तुम लोग तो सरकारी कुत्ते हो ।"
fsfम इस बार मरने को तैयार हो गयी । उसने तय कर लिया कि इसके हाथों से देह को कलुषित कराने से मौत कहीं अच्छी । धनपुर की तरह ही वह भी मरेगी। सुभद्रा जैसी दशा वह अपनी नहीं होने देगी । लेकिन गाँव को मिलिटरी ने घेर रखा है । इस समय शइकीया जो चाहेगा, वही करेगा । यदि उसे तीनचार लोग पकड़ लेंगे तो वह भला क्या कर पायेगी ! अब सोचना ही क्या ? इसी दाव से वह अपनी भी गर्दन काट लेगी । उसे जीते जी पकड़ पाना शइकीया के लिए सहज नहीं होगा ।
उसने देखा, शइकीया थोड़ा हिल-डुल भी नहीं रहा है । रिवाल्वर भी ठीक तरह से नहीं तान रखी है । पहले कभी वह इस प्रकार विमूढ़ नहीं हुआ था । fsfम के सुन्दर गोरे मुखड़े और हिल्लोलित उरोजों को देखकर उसकी वासना और अधिक भड़क उठी थी । शायद उस वासना के उफान के कारण ही उसकी देह कुछ-कुछ काँप रही थी । उसे लग रहा था कि डिभि को ऐसे ही पा जाना सम्भव नहीं । एक ही उपाय था कि उसे बन्दी बना लिया जाय लेकिन इसके
मृत्युंजय / 201