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SXSRISTM5RISTORIE5 विद्यानुशासन 50ISTRISIOSDISTRISH
|| ॐ नमः ॥
अथातः सं प्रवक्ष्यामि क्षुद्रं तं मारणाह्वयं, यस्मात्प्राणि भूतां प्राणा रक्षणीया विशेषतः
॥१॥ अब कुछ मारण कर्म नाम के उपाय कहे जाएंगे जिनसे विशेषकर प्राणियों के प्राणों की रक्षा नहीं हो सकती है।
अमोद्यो जिष्णुना मुक्त स्त्री राप्तो वाम संयुतः, पुराणा स्साधितः श्रेयान्मंत्रो धूमावतीत्यसो
॥२॥ अमोद्य (घ) जिष्णु (ऊ) आगे नाम कहे पुराणा (फ) वाम (आ) आप्त (ज) श्रेयान (ट) अद्य (ठ) इनको मिलाकर मंत्र धूमावती देवी का होता है।
मनारैतेस्य पायस्सा काली स्यादधि देवता, लक्ष मेकम मुं मंत्रं जपेत्पश्चात्स सिद्धयति
॥३॥ इस मंत्र का मन में एक लाख जप करने से सिद्ध होता है खीर और दही से काली देवी को भेंट देवे।
अमुना राज्याज्यप्पिंत साध्यारव्या रव्या युक्त निबंदल,
हो मात गुलिका दिषु सप्ताहान्मरणं तद्वेषिणो भवति ॥४॥ राई और घृत से अर्चना कर साध्य अर्थात् शत्रु का नाम सहित नीम के पत्तों की गोली का होम करने से सात दिन में शत्रु का मरण होता है।
कुंडस्यांतब्भूत तरु प्रतिमां शुलोग्र सुनिहितां,
कृत्वा असुनो हेम समिद्भि होमात् शोभवेन्मरणं कुंड़ के आगे वहेड़ा के पेड़ की लकड़ी को शत्रु की प्रतिमा बनाकर उसमें कीले चुभोकर धतूरे की समिधा से होम करने से शत्रु का मरण होगा।
अरिनाम चिता माप्यामंत्रिकरे लिरियतमनल संतप्तं,
अस्या द्युत पजाप्पा ज्वर यति मारयति वारि ॥६॥ शत्रु के नाम को हाथ पर लिखकर चिता की अग्नि पर तपाते हुए इस मंत्र का दस हजार जप करने से शत्रु को ज्वर होता है तथा वह मरण को प्राप्त होता है। SASTERIOTSPIRRISTD35005७९९3505555RISIOSRIDESI