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________________ 050150151015015055 विद्यानुशासन 650150150151055015 काली मिरच, गोपित (गोरोचन) सेंधा नमक का, आंखो में अंजन करने से भूत ग्रह ब्रह्म राक्षस आदि नष्ट हो जाते हैं। पुष्पैः पुष्प फला लाबुभिव्या कल्पितया कता, कालिका लोचनां का स्याद भूत ग्रह विनाशिनी ॥७० ।। पुष्प सार (सहद) पुष्प फला (कैथ) अलाबु तुम्बी के कल्क की बनाई हुयी गोली को पानी से घिसकर आंखो में लगाने से भूत ग्रह नष्ट हो जाते हैं। मरीच कृष्णा पुष्पाभ्यां स्तेनेयोर जनादथ, पुनर्नवा समूलन स्यात्सर्व ग्रह निग्रहं ॥७९॥ मिरच (कृष्णपुष्प) कालाधतुरा का आंखो में अंजन करने से तथआपुनर्नवा (सांठी) (विसख्खपरा) की जड़ सहित आंखो में लगाने से सहजष्ट हो आते हैं। धूपो द्वि हिंगुर्मगधा वीर्हः द्विप नरवै ग्रंहान, हन्याद गवलं मार्जार गोसर्प मल संयुतै ॥७२॥ धूप, दोनों हींग, मगधा (पीपल) मोर तथा बधेरे के नख ,गबल जंगली भैंस का सींग ,बिलाय गाय तथा सांप के मल को मिलाकर इस धूप को देने से ग्रह नष्ट हो जाते हैं। अज गव्य जल स्नेहात् कुनटी विश्व भेषजैः, धूपो कृतो हरत्याश वलिनोपि महा ग्रहान् ॥७३॥ बकरी का मूत्र, गव्य जल (गाय का मूत्र) स्नेह (बकरी और गाय का धृत) कुनटी (मेनसिल) विश्व । भेषज (सोंट) की धूप महा बलवान ग्रहों को भी शीघ्र नष्ट कर देती है। निर्माल्य शिला गुगल निंबाविदुं दले हिंगु राजि धृतः, अज पशु रोम युतैः सद्भूपैः संध्यात्रये गृह जित् ||७४ ॥ शिवजी का घढ़ावा शिला (मेनसिल) गुगल नीम आय (सुंगधवाला) इन्दु दल (चंदन) हींग राजि (राईया सफेद सरसों) द्यूत और बकरी और गाय के पूँछ के बालों की धूप प्रातः दोपहर तथा सांयकाल के समय देने से ग्रह जीते जाते हैं। मंजिष्टा द्विनिशा कु चंदन वचा हिंगु प्रियंगु द्रुमाः, व्योषाररावध राजिका रविवरा स्मांडी कषाय काजास्थि भिः॥७५ ॥ SSCISIOTSIDHIDISTRI5T035/५९४ P150525105ICISCISCESS
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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