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________________ CASDISTRISTOTSTOISIO5 विधानुशासन ADRISTOTRIOTSID50158 • पीडटोत्प्रथमे मासि शकुनि नाम देवता पीडित: काक शब्देन रोदतोष दिवानिशं इस प्रकार दशदिन तक के ग्रहो की शांति का वर्णन किया है अब पहिले महिने से लगा कर बारहवें महिने तक का वर्णन किया जावेगा ।पहिले मास में शकुनि नाम की देवी के पकड़ने पर बालक कौवे के शब्द का समान रात दिन रोता है | ॥२॥ निरवनत्यूर्द्धम स्तक पानझंट यद्वपु रक्त मूलं स्तब्धनेलः प्रति कारोस्य कथ्यते क्षीरेण गोमहिष्याच पाचितं पायसं अयं आन्नं चतुर्विध माषे येप तू रस मुद्रत ॥४॥ सर्पिषा सहकांस्यादि भाजनस्थं विद्याय तत् चिल वस्त्र द्वयो पेत सुवर्ण प्रतिमा बलिं अभ्यध्य रक्त पुष्पायैः सतांबूलं समंतकं नीरांजयित्या सदन वाम भाग स्थ पिपले ॥६॥ चिरि विल्वे पि वा सात दिन मध्ये दिने क्षिपेत मेषभंगा हि निर्मोक पशुदंत शिरोरुहान ॥७॥ वहीं गुग्गुल वयि नरयात् समांशे नाद चूर्णितान बालं विलिप्या मिर्षि चेत् पंच पल्लव वारिणा ब्रह्माणेप्यं विकायाश्च पूजा पूर्वोदितः कमात् ॥७॥ ॐ नमो शकुनि ऐहि बलिं गृह गृह मुंच मुंच बालकं स्वाहा । बलि विसर्जन मल: ॥८॥ वसनाद्यैरथाचार्य पूजयेद् भक्ति पूर्वकं अनेन शकुनि मुंचे देवतां बलिना शिशु इति प्रथमो मासः पहिले मास में शकुनीनाम की ही के पकड़ने पर बालक कौवे के शब्द के समान रात दिन रोता है । मस्तक उपर को करके बार बार उपर की तरफ देखता है - उसके शरीर मे गंध आने लगती CASESOTSIDAST2510151015 ५०५ PRISTRISIRIDISTRISTR351015
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
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