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STORISO1505510351015 विद्यानुशासन X5IDISTRISRASTRISTOTRI
पाँचवें दिन की रक्षा
पंचाऽहजातं गन्हीयात् शामी नाम गही यदि मुष्टि बंघो निश्वासौ चलप्रेक्षा च जायते
॥२९॥
li३०॥
उदनं पयसा युक्तं दधिकं बह शर गृत कुल्माष संपूर्ण पंच वर्णन शोभितं फन साम्रफलं चै एव माष भक्तं रक्त प्रसूनकं बलिं दद्यात्तश्मशाने च प्रत्यूषे च समंत्रकं
॥३१॥
मेश श्रंग यचा निंब निगुडी पत्र में वच समं गृहीत्या संचूर्ण प्रजामाशु पलेपयेत्
॥३२॥
गुग्गुलं सर्षपं चापि चूर्ण यित्वातुधूपयेत् एवं कृते प्रतिकार मुक्ता गच्छति सा ग्रही
॥३३॥ यदि बालक को पांचये दिन शामी नाम की गृही पकड़े तो बालक की मुट्टी बंध जाती है तथा ऊर्द्ध (ऊँचा) श्वास चलने लगता है। तथा हिलता हुआ दिखता है। उस समय भात दूध दही बहुत शक्कर घृत कुल्थी पाँचों रंगों के भोजन कटहल आम का फल उड़द का भोजन और लाल फूलों की बलि प्रातः काल श्मशान में मंत्र सहित दे। फिर भेड़ के सींग वच नीम के पत्ते और निर्गुडी के पत्रों को बराबर लेकर उसके चूर्ण से बालक पर लेप करे। गूगल तथा सफेद सरसों के चूर्ण की धूप दे। इसप्रकार प्रतिकार करने पर वह सही बालक को छोड़कर चली जाती है।
ॐ नमो भगवति शामि देवते रावण पूजिते दीर्य केशी पिंगलाक्षी लंब स्तानि शुष्क गाने ऐहि ऐहि ह्रीं ह्रीं क्रौं क्रौं आवेशय आयेशा इमं गृह गन्ह बालकं मुंच मुंच स्वाहा ॥
छठे दिन की रक्षा
षडाहजातां गन्हाति मम॑णारख्या प्रजां ग्रही आकुंचनं तदा हस्त पादयोरति मूत्रता
॥३४॥
CSTOTRIOTSIRIDICISIOTICE ४५१ PISTRIDIOHRISTOTHRISTRIES