SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 448
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 250152350505125 विधानुशासन ASRISTOTSTRISTOISIOISS बालक को पांचवे मास में निकले हुए दांत पिता आदि के कमाये हुए हाथी घोड़े तथा ऊंट आदि का नाश करते हैं। षष्टे मासि कुमारस्य यदि दंता समुद्रताः उच्छेदं सर्वनाशं च कलहं च वितन्वते ॥१९॥ यदि बालक के छटे महिने में दांत निकले तो उच्छेद तथा सर्वनाश होकर खूब कलह होती है। सप्तमे मासि द्दश्यते यदि दंताः शिशो स्तदा गोदासि दास संबंधि धन धान्यादि नश्यति ||२०|| यदि बालक के दांत सांतवें महिने में दिखलाई दे तो गौदासी तथा दास संबंधी धनधान्यादि नष्ट करते हैं। दाँतों से होने वाले अनिष्ट की शांति के उपाय होमं कुर्यात् पथरमार्ग समिद्भः स धूतौदनै अछिन्न दौः सु दिने पायसेन च मंत्र वित ॥२१॥ इसके वास्ते मंत्री मार्ग (अपामार्ग) की समिधाओं चायल घी बिना टूटे हुवे डाभ और खीर से शुभ दिन में मंत्र सहित होम करता हुआ। वामि अष्टोत्तर शतं शांतः शांति मंत्रभि मंत्रिते: स्नपनं वानु कुवीत् कुमारस्य पहं पथि ॥२२॥ शांति मंत्र को १०८ बार अभिमंत्रित जल से बालक को तिराह मार्ग में तीन दिन तक स्नान करावें। दंतं कृत्वा सुवर्णन दत्वा विप्रोत्तमाय तां स्थापटोदऽथवा मंत्री तइंतं देवतालये ॥२३॥ तथा सोने के दांत बनवाकर यातो उसको उत्तम उत्तम ब्राह्मण को दान करदे या उसे किसी देवमंदिर में स्थापित कर दे। पुनश्च शिशु मष्टम्यां चतुर्दस्थामथापिवा कतोपवासं संस्थाप्य यावत्षोडश वत्सरं फिर अष्टमी या चतुर्दशी को उपयास करके चालक को सोलहवें वर्ष तक ॥ २४ ॥ SERISTRISRTERSISTERTE ४४२ P751015IRTICISIPTERISTOTRY
SR No.090535
Book TitleVidyanushasan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMatisagar
PublisherDigambar Jain Divyadhwani Prakashan
Publication Year
Total Pages1108
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy