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CEOIROIDIOSI0505 विधानुशासन P151050150505ICISM
वचोग्राति विषा सर्प निर्मोकि धूपनं भगे। करंज तेल संयुक्त गर्भमाश्वेव पातयेत्
॥४०॥ वच नकनिछकनी अतिविष (अतीस) सर्प की कांचली में करंज के तैल को मिलाकर योनि में धूप देने से शीघ्र ही गर्भ गिर पड़ता है।
पिंडी कर तरोः पुष्पै शोषितै सर्पिराद्रितैः यूपैकतो भगे गर्भपात नाय प्रकल्पते
॥४१॥ पिंडी कर (पिंडी खजूर -मेनफल) वृक्ष के फूलों को सुखाकर फिर घी से गीला करके भग में धूप देने से गर्भ गिर पड़ता है।
सिद्धाधाजन सुध्ध गुनुल क्या लाक्षा मयूरछदैः केशोशीर भुजंग कृति सहित धूपो गृह निर्मितःस्त्रीणां लुपति मूढ गर्भ जनितां वाधा महीन वृच्छिकानारयन्
भूत गणानपिशाचनि करान गेहा निरस्य त्यपि ॥४२॥ सफेद सरसौं पुष्पांजन गूगुल यच पीपल की लास्य मोर के पंख्य बाल खस सर्प की कांचली को मिलाकर दी हुई धूप स्त्रियों के गूढ गर्भ (गर्भ प्रसव के समय बच्चों के टेढे बांके हाथ पैर वगैरह लटके रह जाने को गूढ़ गर्भ कहते है) कष्ट सर्पो विच्छुओं चूहों भूतों और पिशाचों आदि को घर से दूर भगाते है।
पीतं पुष्प लतापत्रं पिष्टं तदुल वारिणा अपरां पातये छीली मूलं मूत्रेन वाधवा
||४३॥ पुष्पलता के पत्तो चांवलों के पानी से पीसकर पीने से अथया शीली की जड़ को गोमूत्र के साथ पीने गर्भ नीचे आ जाता है।
चर्म पूति करंजस्य वायसो दुंबर स्या वा पिष्टं तुषां
अंभसा पीतं सऽपरां पातयेत् क्षणात् ॥४४॥ पूति करंज की छाल मकोय अथवा गूलर की छाल को पीसकर पानी के साथ पीने से तुरन्त गर्भ गिर जाता है।
॥४५॥
लंबास्थि सर्प निर्मोक तेल सिद्धार्थकै :
कृतः पातयेत् अपरां धूपो गर्भाशय मुखेऽपितं । SHRIDASIRIDIHIRIDIDIEOTE ४३५ PISISTORISIRISTOTSOTERIES